नयनाम्रत प्रवाह | Nayanaamrat Pravaah

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Nayanaamrat Pravaah by पं. छन्नूलाल - pt. Chhannulal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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है नी प्र ही धर कु हि ड् अल अर बा पिन सथय कण नाश ९२ नयनाखत प्रवाह । करन ना थार अल जा अल ला ला पा आप था नाना नवीन आह निशाना नवीन थी आना लोन हा सदा श्रवन दिना हीं बात सुनत दथारी की ॥ कहूँ जीबी बिन हाथन हथ्यार कर लैखे रीत अकथ अनन्त फारी की । घंखिरहीों जीमें हो में उकति एच अजब अनेरण्वी आख को ॥ ४०९१ चंचलाई झीन दी लई है छीन मॉतिन सां सु लगाम ले उछाल लेत घाड़ा को । बेनी दिल खेंजन के गंजन हारी छवि ना लदी है ठग मैन यहि जाड़ा को | कॉंजन से अंजन जिना हों साजा सा शुनी है नजर रे है चाट चार्यखी स्वाख काड़ा को | सािन के सन ही डाड़ा दून वाला आला एक एक आंख तरा लाख लाड़ा को 1४ १९१॥। कातिल कमान कार कार दिल रोज रोज बरसे बदन जेव शाही रुख ऐन हैं । शान सुख शाकत खियाह शेख खुर्मइई की राशन चिराग सिस्ल आलम के देन हैं ॥ इयास के सलाने चर्म इग्तजार जाके रहें शर्म से लय घा लंड लाखें कर देन हैं । नाक सर मेक मरे नये नये अरे नाज भरे नाजुक ये ना जनी के नेन हैं ४४२ प्रींत नरें नोत मरे रीत भरे जोत अरे खियल कार हैं। रस मरे जस भरें मेह अरे चूर सारे टाफ सरे सॉकि सरे कामसर यारे हैं ॥ मेन सरें सन चैन भरे बैन भरे लाल बलबीर मधु भरे सतदारं हैं | स्पावन भरे स्थान मरे मान बान आन सरे लाभ भरे लाग मरे लाचन लिहारे हैं ॥४ ३॥ रत ज्यावत हैं जावत हसावत हैं चित उचटाचत हैं दास के खेटाना हैं । खुस/त सघर घर घने सन दूल- हे | पूछ / सु




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