स्त्रियों की समस्याएँ | Striyon Ki Samasyayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[१ ] ख्रियों का सुधार পাকি १. म्वियों को आज़ाद करो (“ब्रियों की उपन्ञा के लिए, या कहों कि सखियो के दुरुपयोग के लिए निस्सन्देह पुरुष लोग दोषी हैं श्रोर इसके लिए उन्हें उाचत ग्रायश्ित्त करना चाहिए, लेकिन सुधार का रचनात्मक कार्य तो उन वहिनों को ही करना होगा, जिन्होंने मिथ्या विश्वा्सों को उतार फेंका हें और जो जानती हें कि स्रियों के साथ क्या-क्या अत्याचार हुए हैं।? | मद्रास की सुप्रसिद्ध समाज-सेविका डाक्टर मुथुलक्ष्मी रेड्डी ने मेरे ग्रान्धदेश वाले भापण के बारे मं एक लम्बा पत्र लिखा है। उसमे से एक मनोरज्ञक अंश यहाँ देता हूँ :--- “बैज्ञवाड़ा से गन्तर तक की अपनी यात्रा के बीच आपने समाज- सुधार की भावश्यकता तथा छागों की दैनिक आदतों में सुधार के सम्ब- न्ध में जो कुछ कहा, वे सब बातें सचम्रुच् ही मेरे दिल में पैठ गई हैं । “मैं नम्नतापूवंक निवेदन करती हूँ कि ढाक्टरी धन्धे की भनुभव प्राप्त एक स्त्री की हंसियत से मैं जापकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ । पर साथ ही नम्रतापूवक मैं यह भी कद्द देना चाहती हूँ कि भगर शिक्षा- द्वारा समाज-सुधार, उत्तम सफाई का प्रबन्ध तथा जनता के स्वास्थ्य का सुधार करना है तो यह सब स्त्रियों की शिक्षा-द्वारा ही सफलता-पुर्रक हो सकता है। “क्या आपका भी यह विचार नहीं है कि वर्तमान सामाजिक स्थिति में बहुत कम स्त्रियों को शिक्षा प्राप्त करने की, अपने शरीर भोर मन का




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