पूँजीवाद की पोल | Punjivaad Ki Pol

Punjivaad Ki Pol by रंजन - Ranjan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पूँजीवाद क्‍या है ? २ पिछले अध्याय में हमने अपनी बात को एक प्रशन पर लाकर छोड़ दिया। प्रश्न हमारे 'रोग” का नाम बतलाता है। समाज आज इतना जीश-शीर्ण क्‍यों है, इस क्‍यों का जवाब देता है। 'निदान' रोग का पता लगाता है । यह रोग “पूंजीवाद! है।पर रोग का इलाज करने के लिये अच्छा डाक्टर हमेशा रोग के कारणों की जाँच करता है। रोग क्या है ? उसकी क्या विशेषताएं हैं, यह पहले जानना जरूरी है । इसलिये आगे बढ़ने से पहले हम यह समम लें कि यद 'पूजीवाद” है क्या ? इसकी पहचान क्या ह ! बहुत “पीछे आदि-मानव की जिन्दगी को देखिये जब वह सिफ अपने हाथों से अपनी रोजी के लिये कुदरत से लड़ा करता था, सब दिन मेहनत करने के बाद भी बड़ी मुश्किल से वह सिर्फ इतना पेदा कर सकता था जिससे केवल उसका किसी तरह गुजर हो सके । इसलिये मेहनत सभी को करनी पड़ती थी ; क्‍योंकि एक आदमी अपनी जरूरत से ज्यादा पेदा कर नहीं सकता था। उसके पास उस समय सिषं उसके हाथ ओर देह की ताकत थी; बाकी कुछ न था । उदाहरण के लिये




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