कला की हष्टि | Kala Ki Hashti
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
179
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about भगवतीप्रसाद वाजपेयी - Bhagwatiprasad Vajpeyi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कला की दृष्टि
“आज में ताश न खेलूँगा । मेरी इच्छा है कि में कुछ
बातें करूँ, आप लोगों से ।**'भाई विष्णु, तुम ज़रा आराम से
बेठ जाओ | बुके-बुके-्से मत देख पड़ो । में चाहता हूँ,
तुम्हारा मुख मुझे फूल-सा खिला हुआ जान पड़े | बल्कि अच्छा
हो, ज़रा-सा मुस्करा भी दो ।““ओर विनोद तुम अपने नाम
को साथेक कर दिखाओ । खूब हुल््लड़ मचाओ यहाँ-हृदय
के पह्ठू खोल दो । जड़ो, ओर साथ ही मुकको भी, अपने साथ,
उड़ा ले चलो ।““अरे ब्वॉय, चाय तो ले आ रे, ट्रे में। ओर
देख, आमलेट भी लाना होगा !''आज तुम भी यह चीज़
खाना, विष्णु । हम लोग यहाँ जी-जान से एक हैं । में भेद
User Reviews
No Reviews | Add Yours...