तुलसी साहित्य की अर्थ-समस्याएँ और उनका निदान | Tulsi Sahitya Ki Aarth Samasyaen Aur Unka Nidan

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Tulsi Sahitya Ki Aarth Samasyaen Aur Unka Nidan by नरेन्द्रदेव पाण्डेय - Narendradev Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१ विषय-प्रदेशं : शब्द ओर अथं शब्द क्या ই ? विभिन्न भाषाओं मे शब्दं के अनेक पर्याय और अर्थ मिलते हैं। शब्द मूलतः संस्कृत का शब्द है। अमरकोष में इसके पर्याय ह-शब्द, निनाद, निनद, ध्वनि, ध्वान, रव, स्वन, स्वान, निर्घोष, निहि, नाद, निस्वान, निस्वनः, आरव, आराव, संराव, विराव 19 (संरव' ओर राव “शब्दचर्द्रिका में সাল भौर घोष जटाधर में उपलब्ध पर्याय हैं । 'त्रिकांडशेष' में शब्द के जो आठ पर्याय माने गये हैं, वे मुलतः ध्वनि-पर्याय भी हैं, वे हैं--शब्द, अभिलाप, अभिधा, अभिधान, वाचक, ध्वनि, हास और कुहरति ।* 'अभिधान-चितामणि' में शब्द के सत्ताइस पर्याय माने गये हैं--शब्द, निनाद, निर्धोष, स्वान, ध्वान, स्वर, ध्वनि, निर्हाद, निनद, हाद, निःस्वान, निःस्वन, स्वन, रव, नाद, स्वनि, घोष, संराव, विराव, आराव, आरव, क्वणन, निक्वण, क्वाण, निक्वाण, क्वण, रण । * यदि वाणी को भी 'शब्द'-पर्याय समें स्वीकार किया जाय तो तेरह शब्द और इस सूची मे जुड़ जायेगे- ब्राह्मी, भारती, भाषा, गी (गिरमिरा), वाक्‌ (वाच्‌), वाणी (वाणि), सरस्वती, व्याहार, उक्ति, लपित, भाषित, वचन, वच ।५ १, शब्दे निनादनिनदध्वनिध्वान रवस्वनाः । ॥ स्वाननिर्घोषिनिरह्ादनादनिस्वाननिस्वनाः । आरवारावसंरावविरावा (अथ) मर्मरः --अमरकोष १।६/७ २ शब्दाभिलापौत्वभिघधाऽभिधानं वाचको ध्वनिः हास कुहरितश्च | --त्रिकांडशेष १।६/१ ३. शब्दौ निनादौ निर्घोषः स्वानो ध्वानः स्वरोध्वनिः । निरहादौनिनदो हवादो निःस्वानो निःस्वनः स्वनः । रवो नादः स्वनिर्घोषः संव्याऽभ्योः राव आरवः। क्वणनं निक्वणं क्वाणो निक्वाणश्चक्वणो रणः !--हैमचन्द्राचायं ६।२३५-३६. ४. ब्राह्मी तु भारती भाषा गीर्वाग्वाणी सरस्वती । | व्याहार उकितिलंपितं भाषितं वचनं वचः । --अमरकोष १।६।१




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