राष्ट्रपिता | Rashtrapita
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
186
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आंखों में रोशनी आई, नए रास्ते देखे और उन रास्तों पर लाखों और
'करोड़ों के साथ हमकदम हो कर चला । क्या मं एेसे शख्स की निस्यत
লি जो कि हिन्दुस्तान का और मेरा जुज्ञ हो गया और जिसने कि
जमाने को अपना बनाया ?
हम जो इस जमाने मे बद ओर उसके असर मं परे, हम कंसे
उसका अन्दाज्ना करं ? हमारे रग श्रोर रेशे मं उसकी मोहर पड़ी भौर
हम सब उसके टुकडे हं ।
जहां -जहां मं हिन्दुस्तान के बाहर गया, चाहे यूरोप का कोई
देश हो या चीन या कोई ओर मुल्क, पहला सवाल मुझसे यही हुआ--
“गांधीजी कंसे हें? अब क्या करते हैं?” हर जगह/.गांधीजी का नाम
पहुंचा था, गांधीजी को शोहरत पहुंची थी। ग़रों के लिए गांधी
हिन्दुस्तान ओर हिन्दुस्तान गांधी । हमारे देश की इज्जत बढ़ी, हेसियत
बढ़ी । दुनिया ने तसलीम किया कि एक अजीब ऊंचे दर्जे का आदमी
हिन्दुस्तान मं पेदा हुआ, फिर से अंधेरे मं रोहनौ आई । जो सवा
लाखों के दिल में थे मौर उनको परेशान करते थे, उनके जवानों कौ
कुछ झलक नजर आई । आज उस जवाब पर अमल नहो तो कल
होगा, परसों होगा । उस जवाब में और जवाब भी मिलेंगे, ओर भी
अंधेरे में रोशनी पड़ेगी; लेकिन वह बुनियाद पक्की हं ओर उसी पर
इमारत खड़ी होगी ।
न रस्ट्ू तपत गर
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