पशु की परम्परा | Pashu Ki Parampra

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Book Image : पशु की परम्परा  - Pashu Ki Parampra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पशु फी परम्परा ११ “ग्राप लोगों को सही रास्ता दिवलाणा नेताश्रौ का फरज है । उस रास्ते पर चलणा आप लोगों का फरज । इस मामले के मुतलक नेताओं को और कुछ नहीं कहणा । श्राप लोग श्रगर हडताल का फैसला करेंगे तो नेता लोग आपके अ्रगुम्रा रहकर हड़ताल को' कामयाब बशाणशोें की कोसस करेंगे। गौर अगर आप लोग फैसला करेंगे के हड़ताल नहीं होणी चाहिए तो नेता लोग सिर भुकाकर आपका फैसला मंजर कर लेंगे। इस बारे में मुझे माप लोगों से और कुछ नहीं कहणा । “लेकन आप लोगों की होसला इफजाई कररणा श्रभी बाकी है। श्र वो फरज आ्राज एक नई सकसियत पूरा करेंगी । वो सकसियत कोण हैं ? कामरेड कमला सरमा आज इस सभा की परधान हैं। वो आपकी यूनियन की परधान भी हैं। उणके बारे में मैं श्रापको कया वतलाऊ ? श्राप सव लोग बरसों से उगाको पिछाणाते हैं। लेकित उतकी सुपतरी कामरेड रोजा सरमा के नाम से सायद आप लोग वाकफ नहीं । वाकफ होंगे भी कैसे ? कामरेड गोजा सरमा ग्राज पहली वार शआरापकी बस्ती में तसरीफ लाई हैं । और वो कई बरस से इस मुलक में भी मोजूद नहीं थीं। “कामरेड रोजा सरमाने श्राजसे छः-सात साल पहले यहं के मिसन कालेज से बी० ए० पास किया था। फिर वो फोरण ही बिलायत चली गई । ऊँचे दरजे की तालीम हासल करणे के लिए। श्रव.वो बिलायत्त में श्रपनी' तालीम पूरी करके वापस आई हैं। और वो भ्राप लोगों की सेवा में जिन्दगी' विताशों के लिए बेचेण हैं। “कामरेड रोजा सरमा ने पाँच बरस तक बिलायत में रहकर सिरफ तालीम ही हासल नहीं की 1 उन्होंने श्राँखें खोलकर सारे यूरप को देखा भी है। वे बरतानिया, फिराँस, जरमणी और यूरप के दीगर मुलकों में घूमी हैं। और उन्होंने थूरप के पूरब में रोसणी फैलाते हुए सोवियट रूस को भी अपणी आँखों से देखा है । उनके पास आप लोगों के लिए एक तया पगाम है । इसलिए आप लोग उनकी बातों को बड़े गोर से सुरों। अब मैं काम- रेड रोजा सरमा और आप लोगों के दरम्याण खड़ा रहणा नहीं चाहता ।”




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