मिरातुल ऊरूस | Miratul Aurus
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
326
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बाब पहला
तमहीद के तौर पर औरतों के लिखने-पढ़ने की जरूरत
प्रौर उनकी हालत के मुनासिब कुछ नसीहते
जो आदमी दुनिया के हालात में कभी गौर नहीं करता
उससे ज्यादा कोई भ्रहमक नहीं । गौर करने के वास्ते दुनिया
में हजारों तरह की बातें हैं। लेकिन सबसे उम्दा और ज़रूरी
ग्रादमीका श्रपनाहालह कि जिस रजसे भ्रादमी पैदा होता
है ज़िन्दगी में उसको क्या-क्या बातें पेश आती भर क्योंकर
उप्तकी हालत बदला करती है ।
इ सानी ज़िन्दगी में सबसे ग्रच्छा वक्त लड़कपन का है ।
इस उम्र में आदमी को किसी तरह का फिक्र नहीं होता । माँ-
बाप निहायत शफ़क़त और मुहब्बत से उसको पालते और
जहाँ तक बस चलता है उसको आराम देते हैं प्रौलादके `
ग्रच्छा खाने प्रर अच्छा पहनने से माँ-बाप को खुशी होती है।
बल्कि मां-बाप भ्नौलाद केश्राराम के वास्ते श्नपने उपर तकलीफ
तमहीद--प्रस्तावना; गौर करना--ध्याव लगाकर सोचना; श्रहमक--
मू्ल। शफ्कत-प्यार, मेहरबानी ।
४.
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