नवीन भारतीय शासन - विधान | Naveen Bharatiya Sashan Vidhan

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Naveen Bharatiya Sashan Vidhan by Shri Ram Narayan 'Yadwendu'

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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है र्ध ही की ्‌ ५ दे न सिद्धान्त पध ६ 1 के शासन विधान के सिद्धान्त 5... 3 2 गनलकमलसयमदतमपस्‍यकमयथकपक कक करदी कब न सरकारों पर नियन्त्रण ण कस हो ज्ञाना न्यवस्थापिका सभाएं अपने शासन करेंगी तो ऐसा किया की शासन-सुधार रे रिपोटे के आधार सन ६९१ से तैयार किया गया उससें का कुछ सात्रा का सम उत्तरदायित्व भार्रत पीय-सन्तरियों को आन्तो सें ्रान्तीय शासन-प्रणाली का च्म्न्त तीय संत्रि संडल के सारत के प्रान्त कक से प्रान्तीय स्वराज्य की स्थापना क योजला . ४ नवीन नही है । आज से ्रान्ताथि-स्वराज्य चाहिये । बी सारन्तीय से उत्तरदायित्व अहण जाना अनिवायं है। सोन्टेस्यू चेस्सफो् पर जो शासन-चिधान मान्तों मे उत्तरदायित्व भ्श विश थी किया गया | मान्त सें टू घशासन मणाली की स्थापना की गयी जिसके उउसार कुछ विपयो का साप दिया गया । प्फ्ब स्वराज्य की स्थापना हो जाने से हघ- ञ्ड ७ हो गया है चर मोन्तीय-शासन थार- अधीन कर दिया गया हे र्डिया कम्पनी से हक के में भ्से गावना का माइक ज्िटिश सरकार के हाथो में साप दिया तथ्र जॉन घ्ाइट से यह चासियो की दशा से ह १० चर पूर्व जब ईस्ट र कि फहा था कि इस सारत- उस समय तक सुधार नहीं कर सकते जन कि झेन्सी हु ३ पके कि अत्येक प्रेसीइ को पहले फार न दे दिये जॉथ | जॉच ज्ाइर से ५ से ्धिफ स्वतन्त्र घाधि- पड़े नोशदार शब्दों में रथ कहा कि-- हस जो कुछ चाहते है चद्द यद्द कि गेसी डेन्सियो की सरकारें म्रेसीडेन्सियों की जनता दी सम्राट की नौकरणाही की रक शताच्डी या इससे ्म या छः प्रेसीडेन्सियों वन जायेगी यदि लैण्ड की मभुता वापस कर ली गयी तो सए तम्त्र जायग हक कि टन यु ना ह् जमे कि ड मान्त स्वतन्त्र बन जायेंगे और रेस यह कहने के योग्य हो न 5. सरकारें चना दी जोय | सरकारें न बनें | . .... यह ऐसा पिक समय तक रही नो भारत थे पा न मधिप्य में सारते में हट च्स समय से पेय उसी दल




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