हिन्दी रामकाव्य में आन्जनेय - भक्ति की अभिव्यक्ति | Hindi Ramkavya Mein Aanjaneya Bhakti Ki Abhivyakti

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : हिन्दी रामकाव्य में आन्जनेय - भक्ति की अभिव्यक्ति  - Hindi Ramkavya Mein Aanjaneya Bhakti Ki Abhivyakti

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about शशिकांत अन्ग्निहोत्री - शशिकांत Agnihotri

Add Infomation AboutAgnihotri

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
वाल्गीकि रामायण - आदि कति वाल्मीकि कै अनेक तताद्दियौ को राम कथा सम्वन्धी अनेक गाथाए प्रचलित ह] चुकी थी किन्तु वह साहित्य काल के गाल मे चला गया, क्योकि इतना भव्य उदान्त चरित्र की कल्पना कर विशाल काव्य का प्राणयन किसी ठोस परण्परा की पष्ट भूमि के विना असंभव सा प्रतीत होता है। राजरी सूतों द्वारा नाराशंसी गाथाओं की रचना करना प्रचलित ही है, अत: यह असंभव नहीं कि इक्ष्वाकुवंसीय सतां ने रचि के अनुसार राम कथा का प्रणयन कर उसका प्रचार किया जिसको काव्य रूप देने मेँ वाल्मीकि सफल हो गये । यदपि वाल्मीकि से पूर्वं च्यवन ऋषि ने इस दिशा मे प्रयासं अवश्य किया था किन्तु उन्हें असफलता दही हथ लगी । अश्वघोष ने बुद्ध चरित्र में लिखा है कि जिस काव्य की रचना करने में महर्षि च्यवन असफल रहे वाल्मीकि ने उसे काव्य रूप में प्रस्तुत करने में पूर्ण सफलता डासिल की। कुछ भी हो आज भारतीय परम्परा वाल्मीकि रामायण को ही आदि काव्य स्वीकार करती हे | प्रचलित रामायण तथा जन श्रुति से वाल्मीकि के कथा नायक राम के समकालीन होने का संकेत मिलता है, ओर कथा की रचना भौ तत्कालीन बतायी गई है जबकि पाश्चात्य विद्वान इसे अपेक्षाकृत अर्वाचनीय मानते है। द ए 0 श्लेगलों तथा जी ० गोरेशियो' ने कमशः 11 वीं तथा 12 वीं शताब्दी ई 0 पू ०. एच0 यायोबी' , यम0 विण्टरनित्स' ने प्रथम तथा द्वितीय शताब्दी सी0 वी0 वैद्य दूसरी शताब्दी ई० पू. से, दूसरी शताब्दी के बीच एवं डा0 कामन बुल्के” कम से कम तीसरी शताब्दी ई0 पूर्व एवं एवं डा0 अमरपाल सिंह 500 ई० रचित बताते है। वाल्मीकि द्वारा मौखिक रूप से रचित क॒शीलवों द्वारा जनरूचि को ध्यान में रखकर प्रचारित करने के कारण रामायण में अनेक प्रक्षेपों का समावेश होता गया। विद्वानों. ने इसके दो रस्म की कल्पना की हे ~ प्रथम आदि रामायण द्वितीय परिवर्तित एवं परिवर्धित रूप। आदि रामायण की उत्पत्ति राम रावण एवं हनुमान सम्बन्धी अत्यन्त प्रचलित आख्यानों क॑ संयोग से हुई है जिसमें बालकाण्ड, उत्तर काण्ड एवं अवतार पाद की सामग्री को प्रक्षिप्त माना गया है।” उक्त तथ्य सर्वदा निराधार एवं कपोल कल्पित ही है| 1 - बुद्ध चरित्र 3 - 53 2 -- वात्मीकि समायण 6 ~ 131 - 107 3 - 7 0 डब्लू श्लेगल - जर्मन ओरियन्टल जर्नल भाग 3 पृष्ठ 378 + रामायणे भाग 10 भूमिका 5 - डास रामायण पृष्ठ 100, राम कथा पृष्ठ 31 पर उद्धन्त 6 -- हिस्ट्री ओंफ दि इण्डिन लिटलेचर भाग 1 पृष्ठ 517 7 - दि रिडिल ऑफ दि रामायण पृष्ठ 20 एवं 51 8 - राम कथा पृष्ठ 33 ल ০ तरी गर्म राग साहित्य पष्ठ 22 0 डास रामागण -गाकोबी पष्ठ 50 (राग कणा पर उद्धतं पुष्ठ 124) ( ८ ॥ 1 । | | | ॥ ॥ 1 1




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now