डॉ उर्मिला शिरीष के कथा साहित्य का विशेष अध्ययन | Dr. Urmila Shireesh Ke Katha Sahitya Ka Vishesh Adhyyan

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Dr. Urmila Shireesh Ke Katha Sahitya Ka Vishesh Adhyyan  by कमलेश आनंद - Kamlesh Aanand

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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5 परन्तु कथा ओर आख्यायिका नाम से प्रचलित ग्रन्थों के विश्लेषण के आधार पर विद्धानों ने यह निष्कर्ष भी निकाला है कि कथा की कहानी कल्पित हुआ करती है ओर आख्यायिका की ऐतिहासिक । कादम्बरी कथा है और हर्ष-चरि्त्र आख्यान / अमर कोश ग्रन्थ के सम्पादक रामचन्द्र तिवारी भी इसी मत की पुष्टि करते हैं - कथा को ऐसा साहित्य रुप स्वीकार करता है निसमें कल्पना - तत्व की प्र नता हो আভা कल्पनाः का अर्थ खना माना गया है।?? (7) ध्वन्यालोककार এ आनन्द वर्धन ने कथा के सम्बन्ध में कहा कि - “गद्य की संगठित खना की बहुलवा होने पर भी बन्ध ~ वृत्ति, रस-गत ओचित्य के अनुसार ही संगठन का निर्माण होना चाहिए /? (2) कहानी :- लोक कल्याण भावना ओर लोक - रजक तत्व का जितना सुन्दर समन्वय इस विधा में होता है, दिखाई देता है, उतना साहित्य किसी अन्य विधा में नहीं मिलता। ऐसे सशक्त माध्यम के रुप में कहानी मानव-प्रकूति में निहित प्रेरणाओं के अन्तर्विरेध की अभिव्यक्ति कर सकी है तो इसे इसकी सार्थक उपलब्धि माना जाना वाहिए / 4. अमर कोश सम्पादक रामचन्द तिवारी पृ0 53 2. ध्वन्यालोककार श्री आनन्द वर्धनाचार्य - अनुवादक डॉ0 सागर त्रिपाठी पृ0 774




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