क्रेशर उद्योग में कार्यरत श्रमिकों के सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति का अध्ययन | Kreshar Udayog Mein Karayrat Shramikon Me Samajik Aevam Aarthik Sthiti Ka Adhyyan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Kreshar Udayog Mein Karayrat Shramikon Me Samajik Aevam Aarthik Sthiti Ka Adhyyan by जसवन्त नाग - Jaswant Naag

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about जसवन्त नाग - Jaswant Naag

Add Infomation AboutJaswant Naag

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
श्रम' कहलाती हे, लेसे हम परस्पर कहते सुनते हैँ कि अम्रुव्ठ विद्यार्थी अथवा वकील या क्छूषक् बहुत परिश्रम करता है, बैल बहुत मेहनत कर रे है, इत्यादि । इसके अतिरिक्त, चेष्टा चाहे पैसा कमाने की दृष्टि अ की जायै अधवा स्वाश्थ्यवर्धा्धन क्ठे लिए, या स्नेह के कार्ण, से 'श्रम' ही कहेणें । सश्चैप मै क्छिसी भी कार्य को करने से जो भी चेष्टा होती है, वही साधारण बोलचाल भै श्रमः 251 कहलाती है ।'” परन्तु श्रम' का यह बहत ही व्यापक अर्थ है ; अर्थशास्त्र में श्रम व्ठा अर्थ इतना व्यापक नहीं है । प्रो. दस.ई. शमस क शब्दौ में, “श्रम मनुष्य का वह शारीएक व मानसिक प्रयत्न है, जो प्रतिफल की आशा से किया जाता है ।” इसी দলা, अर्थशास्त्री मार्शल क्ठे अनुशाए श्रम का अर्थ मनुष्य व्ठे आर्थिक कार्यौ सहै, चाहे वे शारीरिक हों या मानसिक | पीथू कहे मतानुशाए परिश्रम (या भवा), जिसे द्रव्य द्वय मापा जा सक्ता है, श्रम कहलाता है । (क्छ) भारतीय श्ओद्योणिक्छ श्रम की आर्थिक सामाजिक्छ विश्ेषतायें : भाएत में औद्योगिक श्रमिक्छ वर्ण का ठढय पाश्चात्य दैशों की तुलना मै, भिन्न परिरिथधतियौ के अन्तर््त हुध्ा है ; अतः ठनक्ी कटु ठल्लेखनीय विशेषता हैं, जो ~ डस प्रकार है ऋ: इकछता क्छ अभ्नाव - भारतीय श्रमिक्छों में इक्छता क्छ सर्वथा अभाव ह । উজ पे मूल काएण यह है कि वे देश के स्री भागौ सै ओर यमाल के सश्र वर्गो चै आद्‌ हुदै हते है । परिणामरवरूप मजदूर व्छा वर्ण एक ऐशा विचित्र सन्दाय लन भयाडे, | जिशमें भिन्न-भिन्न धर्मो क्ठे विभिन्‍न भाषाएँ बोलने वाले, विभिन्‍न खहन-यहन एवं ही शति-र्वाल क लोग होते हैं | इन अनेक विभिन्‍नताओं व्छे व्ठाएण अ्रमिव्छ वर्ण में । वि संशठन नहीं है।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now