हमारा ग्राम-साहित्य | Hamara Gram Sahitya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10.73 MB
कुल पष्ठ :
424
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)है. हरे )
२९--खेती की कद्दावतें !
२४--बुमौवल् श्रौर ढकोसले |
२४--नये-नये शब्द श्रौर मद्दावरे ।
२५.---मनुष्य श्रौर पशु के रोगों के नुस्खे, ।
२६--पेशेवरों के शब्द ।
२७--जड़ी-बूटियों की पहचान श्रौर उनके उपयोग ।
र८--मुसलमानों के घरों में प्रचलित गीत ।
गाँव का स्वरूप
झसली हिन्दुस्तान शहरों में नहीं, गाँवों में है । शहरों में
अरब शऔर योरप घुस श्राये हैं; पर गाँव की मूल संस्कृति श्र
प्रकृति श्रमीतक उसी हालत में है, जिस हालत में वह चन्द्रगुंस
और श्रशोक के जमाने में रही होगी । श्रन्तर पड़ा है तो केवल
घन का | पहले-जैसा धन श्रब गाँवों में ' नहीं दे, बल्कि घोर
निध॑नता है। पर निर्धनता का उसकी नींव पर झमीतक बहुत दी
कम प्रमाव पड़ा दे |
गाँव को गाँव की हृष्टि से देखिये, तमी वह सुन्दर मालूम
होगा । गाँव को भ्रन्द्र से देखिये, तभी उसकी सम्पूणुता समक
में झमी जो इम गाँववात्लों को श्रसम्य; गंदे श्र
पाते हैं, उसका पहला कारण ते उनकी झसझ
गरीबी है; और दूसरा यह कि हम उन्हें योरप की आँखों से देखते
हैं, इसीसे उनमें श्रसंखय तरुटियाँ दिखाई पढ़ती हैं | हम' में: उनकी
घुदियाँ ही देखने का श्रम्यास भी ढाला गया है | उनकी तरुदियाँ
ही जुटियाँ हमें बताई भी जाती हैं श्रौंर हम उन्हे श्रपनी प्रखर
प्रतिमा से बढ़ाते भी रहते हैं, इससे उनसे हमें घृणा दोती जाती है ।'
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