जापानकी राजनीतिक प्रगति | Japanki Rajneetik Preagti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
484
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १४ )
१४ चीं शताष्दीके अन्तमे मिकादोने शिकेद जोगोफी
उकुराईका अन्त कर देना चादहा। पर वह असफल रदा,
यरिक उलदे उसे ही कारावासका दरएड मित्रा। तो भी इस
समय मिफादोकफे ঘন উলাঘলি नित्ता, योशिदा, आशि-
कागा तकाऊजी आदि बड़े बड़े समर्थ, पुरुष थे। उन्होंने
होजो वंशजोौको लोहेके चना चबवाप्ट | होजो लोगोको परास्त
किया श्रोर उन्हें देशले बादर निकालकर पुनः गोदायगोको
ही राजलिहासनपर बैठाया (१३६०२ वि०) |
गोदायगो राजगद्दीपर बैठकर भी कोई बड़े अधिकार
न पा सका प्धोकि घि० १३४३में ही श्राशिकागा तकाडजीकी
शोमूनाई प्रबल हो गयी | उसका विरोध करनेपर गोदायगो-
को गद्दोसे उतार दिया गया और नया मिकादो गद्दोपर
विठाया गया। ४० साल्ृतक दो विरोधी राजवंश गद्ये
लिए खड़े होते रहे, एक जापानके दक्षिणी भागमें और दुसरे
उत्तरी भागमे । ये दोनों दल योशिमित्सुकी शोमूनाई शासनमें
' ग्ोकोमात्छुके राज्यकालमें (१६३० वि०) परस्पर मिल गये ।
१९ वीं शताब्दोम॑ शोमूनाईका पद सर्वथा निर्बल पड़ गया |
' सारा देश भीतरी युद्धोंसे जर्जरित दो गया झौर जागीरदारों
ओर ताल्लुकेदारोम बरावर लाठी तलवारें चलती रहीं |
हिदेयोशी इयेयास् कौर नावूनागा इन तीन सेनापतियाँफे
पचल प्रयत्नसे इस घोर अराजकताका अन्त हुआ | इसमें नावू-
नागा जापानके इतिहासका एक प्रसिद्ध व्यक्ति है। उससे
'एचिजन झोर अन्य पाँच प्रान्तोका शासन अपने हाथमें
लिया । ध्राश्िक्तागा योशिष्राकाको श्रपना शोगून वनाया श्रौर
मिकादोष्टेनामपर साया शासनका सार्य चलाना प्रारम्भ किया।
धि° १६३8 मे उसका घात किया गया ।श्सके बाद सेनापति
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