विश्व -इतिहास की झलक | Vishv Itihas Ki Jhalak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
50 MB
कुल पष्ठ :
836
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सालगिरह की चिट्टी ५
झौर तुम्हारें दिल में कितना हौसला पैदा हुआ था कि तुम भी उसीकी तरह कुछ काम करो ? साधारण
मर्दों भऔर औरतों में आमतौर पर साहस की भावना नही होती । थे तो अपनी रोज़ाना की दाल-रोटी की,
अपने बाल-बच्चों की, धर-मिरिस्ती की कमटों की और इसी तरह की दूसरी बातों की चिन्ता में फंसे रहते
है। लेकिन एक समय प्राता है जब किसी बडे उदेश्य के लिए सारी जनता में उत्साह भर जाता है और
उस वक्त सीधे-सादे मामूली स्त्री भौर पुरुष वीर बन जाते हैं, भौर इतिहास दिल को थर्रा देनेवाला
श्रौर नया युग पैदा करनेवाला बन जाता है। महान् नेताश्रो मे कुछ ऐसी बाते होती हे जो जारी जाति
के लोगों में जान पैदा कर देती हे और उनसे बड़े-बड़े काम करवा देती है ।
वह वर्ष, जिसमें त् म्हारा जन्म हुश्रा, श्र्थात् सन् १९१७, इतिहास का एक बहुत प्रसिद्ध वर्ष हैं। इसी
वर्ष एक महान् नेता ने, जिसके हृदय मे गरीबों और दुखियों के लिए बहुत प्रेम भौर हमदर्दी थी, भपनी क़ौम
के हाथो से তৃষা তক কু करवा लिया जो इतिहास में प्रमर रहेगा | उसी महीने में, जिसमे तुम पैदा हुईं,
लेनिन ने उस महान् क्रान्ति को शुरू किया था, जिससे रूस भ्रौर साइबेरिया की काया पलट गई। और भ्राज
भारत में एक दूसरे महान् नेता ने, जिसके हृदय मे मुसीबत के मारे और दुखी लोगो के लिए दर्द है श्रौर
जो उनकी सहायता के लिए बेताब हो राह, हमारी कौम मे महान् प्रयत्न श्रौर उच्च बलिदान करने के लिए
नई जान डाल दी है, जिससे हमारी कौम फिर श्राज़ाद हो जाय, और भूखे, गरीब और पीड़ित लोग अपने पर
लदे हुए बोक से छुटकारा पा जायें। बापूजी,' जेल मे पडे हे, लेकिन हिन्दुस्तान वी करोडो जनता के दिलो
में उनके सदेश का जादू पैठ गया है श्रौर मर्द झौर श्रौरते और छोटे-छोटे बच्चे तक अपने-अपने छोटे-छोटे और
तंग दायरों से निकलकर भारत की आज़ादी के सिपाही बन रहे हे। भारत में भ्राज हम इतिहास
निर्माण कर रहें हे । हम और तुम ग्राज बडे खुशकिस्मत है कि ये सब बाते हमारी श्राँखों के सामने हो रही
है, श्रौर इस महान् वाटक में हम भी कुछ हिस्सा ले रहे हं । +
इस महान् श्रान्दोलन मे हमारा सुत क्या रहेगा ? इसमे हम क्या भाग लेगे ? म॑ नही कह सकता किं
हम लोगो के जिम्मे कौन-सा काम प्रायगा । लेकिन हमारे जिम्मे चाहे जो काम भ्रा पड़े, हमें यह याद रखना
चाहिए कि हम कोई ऐसी बात नही करंगं जिरमे हमारे उदेश्यो पर कलक लगे भ्रौर हमारे राष्ट की बदनामी
ही । श्रगर हमे भारत कं सिपाही होना है, तो हमको उसके गौरव का रक्षक वतना होगा रौर यह गौरव
हमारे लिए एक पवित्र धरोहर होगी ।
कभी-कभी हमें यह दुविधा हो सकती हैं, कि इस समय हमें क्या करना चाहिए ? सही क्या है भौर
गलत वया है, यह तय करना भासान काम नही होता । इसलिए जब कभी तुम्हे शक हो तो ऐसे समय के लिए में
एक छोटी-सी कसौटी तुम्हे बताता हूँ । शायद इससे तुम्हे मदद मिलेगी । वह यह है कि कोई काम खुफिया
तौर पर न करो, कोई काम ऐसा न करो जिसे तुम्हें दूसरो से छिपाने की इच्छा हो । क्योकि छिपाने की इच्छा
का मतलब यह होता हैँ कि तुम डरती हो, और डरना बुरी बात है और तुम्हारी शान के ख़िलाफ़ हैं । तुम
गहादुर बनो झौर बाक़ी चीजे तुम्हारे पास आप-ही-आाप झाती जायँगी । अगर तुम बहादुर हो तो तुम डरोगी
नही, সী কী ऐसा काम न करोगी जिसके लिए दूसरो के सामने तुम्हे शर्म मालूम हो । तुम्हे मालूम है कि
हमारी भ्राजादी के श्रान्दोलन में, जो बापजी की रहनुमाई में चल रहा है, गृप्त तरीकों या लक-छिप
कर काम करने के लिए कोई स्थान नही है। हमे तो कोई चीज छिपानी ही नहीं हैं। जो बूछ हम
कहते है या करते हे उससे हम डरते नहीं । हम तो उजाले में और दिव-दहाड़े काम करते हे । इसी
तरह भ्पनी निजी जिन्दगी में भी हमे सूरज को अपना दोस्त भनाना चाहिए श्रौर रोदनी मे काम करना
चाहिए । कोई बात छिपाकर या श्रांख बचाकर न करनी चाहिए | एकान्त तो अलबता हंगे चाहिए और
वह स्वाभाविक भी है, लेकिन एकास्त भर चीज़ है श्रौर पोशीदगी दूसरी चीज़ है । इसलिए, प्यारी बेटी, प्रगर
तुम दस कसौटी को सामने रखकर काम करती रहोगी तो एक प्रकाशमान् बालिका बनोगी और चाहे जो
घटनाएं तुम्हारे सामने भ्राये तुम निर्भय भ्रौर शान्त रहोगी प्रौर तुम्हारे चेहरे पर झिकन तक न झायगी ।
मेने तुम्हे एक बड़ी लम्बी चिटठी लिख डाली । फिर भी बहुत-सी बाते रह गईं, जो में तुमसे कहना
चाहता हूँ । एक पन्न में इतनी सब बाते कहाँ समा सकती है ?
महात्मा गाथी ।
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