ओरंगजेब | Orangjeb
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14.89 MB
कुल पष्ठ :
455
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)है...)
श्रलग खड-राज्य स्थापित होने लगे श्रौर मुगल-साम्राज्य छिन-भिन्न
होनेको ही था । साम्राज्यका नैतिक पतन भौतिक पतनसे भी श्रघिक
भयकर था । लोगोकी निगाह मुगल-साम्राज्यके प्रति झ्रादरका भाव
नाम-मात्रको भी नहीं रह गया था, सरकारी कर्मचारी ईमानदारी व
कार्य-कुषलता सर्वेथा खो चुके थे, मत्रियों श्रौर राजाद्रों दोनोंमे ही
झासन-पटुताकी पूरी-पूरी कमी थी, सेना विलकुल निस्तेज तथा
वलहीन हो चुकी थी ।
इस सर्वव्यापी पतनका कारण क्या था * सम्राट न तो व्यसनी
था श्रौर न वुद्धिहीन या श्रालसी ही । उसकी मानसिक सतकंता
प्रसिद्धथी । वह राजकाजमे उसी लगनसे काम करता था जो अ्धि-
कतर मनुष्य विपय-भोगोमे दिखाते हैं । घार्मिक पुस्तकों या श्राचार
विचारसवबधी ग्रथोमे समूद्दीत मानवीय ज्ञान तथा विद्याके भडारपर
उसने पुर्ण श्रधिकार प्राप्त कर लिया था । साथ ही अपने पिताके
यासन-कालमे उसे युद्ध तथा कूटनीतिकी पूरी-पूरी शिक्षा भी प्राप्त हो
चुकी थी ।
फिर भी ऐसे सम्राटके ५० वर्पके जासनका परिणाम निकला पूर्ण
असफलता श्रौर घोर भ्रशार्ति 17 यही राजनतिक विपमता उसके
झासन-कालकों राजनीति श्रौर भारतीय इतिहासके चिद्यार्थीकि लिए
चहुत ही ध्िक्षाप्रद तथा चित्ताक्पंक वना देती है ।
२. श्रौरंगज्ेबके जीवनकी दु.खांत कहानीका विकास
.श्रौरगज़ेवका जीवन एक लम्बी दु खात कहानी थी, वह एक ऐसे
मनुष्यकी कहानी थी, जो जीवन-भर श्रदृद्य परतु निप्ठुर कठोर
भाग्यके साथ श्रसफलतापूर्वक लडता ही रहा श्रौर जिसने यह दिखा
दिया कि किस प्रकार कठिनसे कठिन पुरपार्थ भी समयके चक्फे
सामने विफल ही होता है । ५० वर्पके कठिन थासनका शभ्रत घोर
श्रसफलतामे ही हुमा, तयापि बुद्धि, चरित्र श्रौर साहसमे श्रौरगजेव-
का स्वान एशियाके वडेसे वडे घासकोंमे है । उतिहासके उस दु स्दात
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