संजीवनी विद्या | Sanjeevani Vidhya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
68.05 MB
कुल पष्ठ :
127
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)है। इसी कारण झुछ समय तक उसके. दावों जौर पैरोंदो गौर साय
ही उसके मचको भी उतनी शक्ति प्राप्त नहीं होती, जितनी साधारणतः होनी
करने छगती है। यदि इच्छा उसी समय पूरी या तू कर छी जाय, तो
वह दारीरकी अमूल्य शक्तिका क्षय करती है और यदि दूत न की जाय,
तो भी अन्यान्य समस्त इच्छाओंके समान वह केवल अपने स्फुरणात्मक
'.अस्तित्वसे ही और. अस्तित्वके लिए ही दरीरकी बहुतसी शक्ति जछाकर राख
प्रज्ञाहरा तुंडी सयः घज्ञाकरा बचचा।
चाकिहरा नारी सच्यः दाकिकर पय ॥
User Reviews
No Reviews | Add Yours...