ताप | Taap

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Taap by प्रेमबल्लभ जोशी - PremBallabh Joshiविश्वम्भरनाथ श्रीवास्तव - Vishvmbharnath Srivastav

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विश्वम्भरनाथ श्रीवास्तव - Vishvmbharnath Srivastav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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€ = पद्ध ज्र फलना 9 पकड़िए ओर नली के दूसरे सिरे को रंगीन पाती मे डवो दीजिए घुडो पर से हाथ हटा लीजिए । पानी नही मे चढ़ जायगा (चित्र १ में क )। फिर यदि घुडो को हाथ से पकड़े! तो रगीन पानी खुली नली मे ऊपर की ओर उठेगा। हाथ हटा लेने से फिर नीचे उतरने छगेगा। कारण है कि हाथ की गर्मी से घु डो को हवा फेछतो ओर पानी को आगे ढकेचतों है। चस य द्ध हो गया कि गमं करन सेवचयु मी लता है । 94 ह का 5৮ পু ¬ 45 डस तीनो प्रयोगो मे यदह লান লাল ভন :-- रारसो पाकर स्मौ অনার ইবি ইত उनका आयतन बढ़ जाता है ओर ठडक पाकर बट জালা ই अथवा गरमी फेलातो और टठंडक सिकाडतों है । यन्त्रकार लोग कारण जान वा न जाने परन्तु ऊपर कहे नियम से बहुत ले काम छते है । आपसे देखा होगा कि ह्यि पर चढ्ान के लिए नाप मे उससे छछ छोटी हाल बना कर दंड की प्मॉच मे लाल करते हैं | इस दशा से उसका घरा च এসি সি पाष्य के चबराचर हा जाता সায় মল হাক कर पाट्य पर हाज 26 গে ্ प्र ष्ट 1 च्छ्रम्‌ ক ক 1. ॥| ६५ চন ह 41 3] পপ টা রা শা १॥ ६५५ ८४ ज 2 ঙ क १४ ५५ | २ श,




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