हिंदी गीतांजलि | Hindi Geetanjali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
98
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रवीन्द्रनाथ टैगोर - Ravindranath Tagore
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हिन्दी गीताञ्जलि ] { २१
१५
मैं प्रेम के कर कमलों में आत्मसमपंण करने की प्रतीक्षा
फर रहा हूँ। इसी से इतनी देर हुई है ओर इतनी त्रुटियां
हुई हैं ।
लोग अपने विधि विधानों से मुके जकड़ने के लिये आते
हैं, किन्तु में उन्हें सदा टाल देता हूँ. क्योंकि में तो केवल प्रेम
के करकमलों मे आत्मसमपण करने के लिये उसकी प्रतीक्षा
कर रहा हूँ ।
लोग मुझ पर दोष लगाते हैं ओर मुझे असावधान कहते
हैं। वास्तव में वे ठीक कहते हैं ।
हाट बेला बीत गई ओर कामकाजियों का काम समाप्त
हो गया। जो मुझे व्यर्थ बुलाने आये थे, वे क्रोधित होकर लौट
गये। क्योंकि में तो केवल प्रेम के कर कमलों में आत्मसमपंण
करने के लिये उसकी प्रतीक्षा कर रहा हू ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...