हिंदी कथा कोष | Hindi Katha Kosh
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11.45 MB
कुल पष्ठ :
139
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ाखंडल-चआयु ] [ ११
आखंडल-इंद्र का पर्याय । दे० “इंद्र । के नास से प्रसिद्ध थे । चेदोत्तर काल में प्रत्येक सास के
च्ारस्त्य-अरास्त्य ऋषि के पुत्र का नाम । लिए एक एक छादित्य की करुपना हुई । तैत्तिरीय श्राह्मण
व्याग्नीघ्र-प्रियघ्रत और च्िष्मती के उ्येप्ठ पुन्न का नाम । में भी छाठ आआदित्यों के नाम छाते हैं--१. अंश, २.
के छानुसार इनका नाम छन्नीध था । उज-.... झग, ३. घाद, ४. इंद्र, १. विवस्वनू, ९. सित्र, ७. वरुण
स्वती नाम की इनकी एक भगिनी थी । दे० “असीघ । तथा पद. अयंसच | सतांतर से आठवें आदित्य अदिति के
आजकेशिन-इंद का नामांतर । इन्होंने बक का प्रतिकार... पुत्र सातंरढ थे । आदित्य वास्तव सें एक देववरां का नास
किया था । था जिससे स्वेप्रमुख विष्छु थे ।
माजगर-महाभारतकालीन एक प्रसिद्ध ्नाह्माण का नास. 'छादित्यकेतु-छतराष्ट्र के एक पुत्र का नास जिसका चघ
जो छयाचित चुत्ति से रहते थे । भीस ने किया था |
च्याज्य-सार्वणि मन के पुत्र का नास । व्यादिवराह-भगवान विष्णु का एव्ठ अवतार जो दिरय्याक्ष
ाज्यप- पिवृगण में से एक । ये श्रह्मा के सानसपुन्न पुल... से पृथ्वी का उद्धार करने के लिए हुआ था । दे० “वराद! ।
के वंशज थे और यश्तों में करने के कारण झाधूत रजसू-गय राजा के पिता का नास । म्तांतर से
इनका यह नास पढ़ा था । इनका नाम अम्रतरयस् था ।
्ाटविन्-याज्ञवल्क्य के वाजसनेय शिष्य । ब्यास की. झआानंद-१. एक प्रसिद्ध न्नाह्मण जिनकी उत्पत्ति सहपि
यजु: शिप्य-प्रम्प्रा सें इनकी उत्पत्ति सानी जाती है । गालच्य के कुल से हुई थी । र. सेघातिथि के सात पुत्रों
ाडि-धंघधकासुर के पुन्न का नाम । इसने घोर तपस्या के... मे से एक । ३. मद्दास्मा छुद्द के एक शिष्य जिनसे तथागत
द्वारा त्रह्मा को प्रसन्न करके छसमरत्व का वरदान माँगा... का इतना चिश्वास था कि वे इन्हें अपने समान ही
किंतु ऐसा असंभव होने के कारण इसे इच्छाजुसार रूप... समसते थे ।
परिवतन करने का चर मिल गया जिसके वल पर निर्भय 'ासंदरिरि-शंकराचार्य के शिप्य और वेदांत के प्रकांड
दो कर इसने नेक अत्याचार किये। शिवाजी का पराभव पंडित “शंकर दिग्विजय” इनका ससिद्ध अंथ हैं, जिसमें
करने के लिए यद्द कैलास गाया जहाँ चीरभद्ठ से इसका. आचार्य के शास्त्रार्थे तथा मुख्य कृत्यों का विवरण है ।
युद्ध हुआ । घुद्ध में से इसने सर१प का रूप धारण. शंकर के “शारीरक भाप्य” की टीका, तथा. गीता
किया किंतु उसमें थी म्राणों का संकट देखकर इसने. और उपनिपदों पर इनके भाप्य झत्यंत चिद्दत्तापूर्ण
पावंती का रूप घारण कर लिया । श्रंत सें शिव को इस |. ,
कपर रूप का पता लगा शौर उन्होंने इंसका वघ किया 1. झासंद्चघन-एक मसिद्ध काश्सीरी पंडित तथा काव्य-
घ्मातातापि-एक प्राचीन कषि तथा धर्मेशास्र सं थ के... शास्त्र के आचार्य ।'काव्यालोक' “ध्वन्यालोक' तथा “सहद्या-
प्रणेता ! लोक' इनके झ्सिद्ध अंथ हैं । ये ध्वनिवादी हैं और झ्रलं-
घ्पात्मदेव-एक प्रसिद्ध ब्राह्मण का नाम जो तंगभद्वा के. कार शास्त्र के आचार्यों में इनका महत्वपूर्ण स्थान है ।
तट पर रदते थे और निस्संतान होने के कारण बहुत. कर्ण की राजत्तरंगिणी में एक स्थल पर इनका जिक्र
चिंतित रहा करते थे । एक सिद्ध ने पुश्रोत्पत्ति के लिए... थाता है जिसके अनुसार ये काश्मीर के राजा अवंतिचमां
इनकी परनी को एक फल खाने को दिया किंतु उसने वह. के राजपंडित होते हैं । झवंतिवर्मा का समय नवीं
फल अपनी बदन को दे दिया । बहन ने भी स्वयं न... शताब्दी साना जाता है ।
खाकर उसे एक गाय को खिला दिया । ब्राह्मण को जो... के पिता बसुदेव का एक नामांतर |
पुत्र उत्पन्न हुआ उसका नाम घघकारी पढ़ा. और गाय. इनके जन्म के अवसर पर देवताओं ने झानद से टुदुभी
को जो पुत्र छुआ उसके बेल जैसे कान होने के कारण बजाई थी इसी से इनका यह नास पढ़ा | दे०
उसका नास गोकर्ण पढ़ा । घुंधकारी बढ़ा झत्याचारी हुआ... “च्सुदेव' ।
सोकर्स को कप्ट दिया करता था । सोकर्ण ने ज्ञान ष्मानत-राजा शर्याति के पुन्न का नास !
सार्ग का झाश्रय लेकर परसाथ प्राप्त किया । ापस्तंव-प्रसिद्ध वेदिक कषि तथा । इनका
सुनि के पुन्न । कालांतर में झन्रि कुलोष्पन्न समय तीसरी शताब्दी इं० पू० माना जाता जाता है।
सभी बाह्मणों की संज्ञा ान्रेय हो गई । इस नाम के कई ऋषि मिलते हैं कितु दो विशेष प्रसिद्ध
ात्रेयी -अन्रि मुनि की कन्या का नास । इनका विवाह... हैं--एक सूचकार और दूसरे स्खतिकार ! इनके नाम पर
छासि के पुत्र झंगिरा के साथ हुआ था जिससे इनके पुन्न॒. आपस्तंव संहिता भी मसिद्ध है जिसमें कतकर्सों के फल
'झंगिरस” नाम से प्रसिद्ध हुए । दे० “झगिरा” । तथा पापों के प्रायश्चित्त वा चिस्तारपूर्वक विवरण हे ।
'झात्रेयस्मृत्तिपएक स्खति श्रंथ जिसके रचयिता झत्रि .. धर्म में सा का स्थान सर्वोपरि साना गया है |
मुनि कहे गये हैं । ब्मापिशसल्ति-एक प्रसिद्ध वैयाकरण जिनका उदलेख पाणिसनि
आदित्य -अदिति के पुत्र और एक मसिद्ध वैदिक देवता ।.. ने संघिपम्रकरण में क्या है । इनके द्वारा प्रणीत
'वाजुप मन्वंतर से इनका नाम त्वप्टा था । वैदस्वत सन्वंत्तर ... आपिशलि नामक अंध से काशिका तथा केयट का उल्लेख
से ये आदित्य कहलाए । कार्लांतर सें इन्हें सूर्य का पर्याय... होने से ज्ञात होता है कि काशिकाकार तथा कैयट इनके
साना जाने लगा । पहले झादित्यों की संख्या छः ही थी के पे हो चुके थे ।
जो क्रमशः मिश्र, झयेसन्र, भग, वरुण, दक्ष तथा अंश आयु-मसिद्ध चंद्रवंशी राजा पुरूरवा के ज्येप्ठ घुन्न जिनका,
हो
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