प्रेम तीर्थ | Prem Teerth
श्रेणी : लघु कथा / Short story
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
201
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)निम्रन्द्रण १९
देखा तो चिन्तासणिजी फेक को गोद में लिए कुछ पू रहे दै 1 रूपक
छर लठके का ्ाथ पकड लिया और ष्दा्ा कि उसे अपने सिन्र फ्री गोद
मे छीन लों। मगर चिन्तामणित्नी को अभी झपने भश्न का उत्तर न
मिला था। प्तएव वे छडके का हाथ छुडा कर उसे छिए हुए अपने
घर की ओर भागे । सोटेराम भी यह कहते हुए उनके पीछे दौढे-“उसे
क्यों लिए जाते हो | ध्रूत कहीं का, दुए ! विन्तामणि में कहे देता हूँ,
दका न्या छच्छ न दोगा, फिर कमी किसी निमनन््त्रण में ने
जागा । बला षाष्ते हो तो उसे उत्तार दो । मगर चिल्तामणि ने
एद न सुनी । भागते ही घले गए। उनकी ই জী संभाल फे याहर
नहुई थी दौड़ पकते थे, मगर सोटेरामजोी को एक एक पग श्रमे
घटना दुरूर तो रदा था । ससे की भति हफ्ते थे घोर नाना प्रफार के
दिशेषणों फा प्रयोग करते दुल्की चाल से घछे जाते थे, थौर ययपि
प्रद्िक्षण घन्तर बटता ज्ञाता था, एर पीछा न छोडते थे। भच्छी घुड-
दोट की । गगरके ठो मतत्मा दौढते हुए पेसे जान पठते थे, मानो दो
रटे विशि षर सेभाग पाए र्ि। सैकर्दों घादमी तमाशा देखने
टे । दितने ही पालक उन्कै पदे तालियां दजाते हुए ठौडे । कदादित्
पट दोद पण्टित विन्दामणि के घर ही पर समाप्त होती, एर पषण्डित
मोस घोती के टीछी शो जाने के छारण शल्ककर गिर ए2 । चिन्ता-
লাফ ले पी: फिर दर यह दृश्य देखा, तो रह गए फ्ौर फेक्राम से
एस~-ष्र रेरा ष्ट नेध्दा ऐ ?
ऐप्-दण हें तो एप मिदाहँ दोये न !
चिन्ह देगा दन्ास्ने।
प~, र स्र
{2-7ा~-स्ं सौ सन्ती
User Reviews
No Reviews | Add Yours...