राष्ट्रभाषा हिन्दुस्तान | Rashtrabhasha Hindustani
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15.23 MB
कुल पष्ठ :
233
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)े राष्ट्रभाषा हिन्दुस्तानी अपने पढ़े-लिखे समाजकी हालत को देखते हुअ झैसा आभास होता है कि अंग्रेज़ीके अभावंगें हमारा कारबार रुक जायगा । फिर भी अगर गहरे पेठ- कर सोचेंगे तो पता चढेगा कि भअंग्रेक़ी राष्ट्रीय भाषा नहीं बन सकती न बननी चाहिये । तो अब हम यहदद सोचें कि राष्ट्रीय भाषाके क्या-क्या लक्षण होने चाहियें । १. अमलदारोंके लिभे वदद भाषा सरल होनी चाहिये । २. झुस भाषाके द्वारा भारतव्षका आपसी धार्मिक आर्थिक और राजनीतिक व्यवहार हों सकना चाहिये । ३. यह झरूरी है कि भारतवषके बहुतसे लोग झुस भाषाको बोलते हों । ४. राष्ट्रे लिभे वह भाषा आसान होनी चाहिये । ५. झुस भाषाका विचार करते समय किसी क्षणिक या अल्पस्थायी स्थिति पर शोर नहीं देना वाहिये । अंग्रेकनीं माषामें जिंनमेंसे अेक भी लक्षण नहीं । . पहला लक्षण अखीरमें देना चाहिये था । लेकिन मैंने झुसे पहला स्थान दिया है क्योंकि ऊैसा आभास होता है मानो अंग्रे़ी भाषामें यह लक्षण है । ज़्यादा विचार करने पर हम देखेंगे किं आज भी अमलदारोंके छिने वह भाषा सरल नहीं है । यहीँ के शासन-विंधानकी कल्पना यह है कि अंग्रेज लोग कम होते जायँगे और सो भी जिस दृद तक कि आखिरमें अेक वाशिसराय और अँगुलियों पर गिनेजानेवाले कुछ अंग्रेज असछूंदार ही यहाँ रह जायँगे । बड़ी तादाद आज भी हिन्दुस्तानियों की दी है ओर वह बढ़ती ही जायगी । जिन लोगोंके लिभे हिन्दुस्तानकी किसी भी भाषोके सुक़ाबलें अंग्रेक़ी मुश्किल है जिस बातको तो सभी कोशी कबूल करेंगे । दूसरे लक्षण पर विचार करनेसे हमें पता चलता है कि जब तक अंग्रेज़ी भाषाको हमारा जनससाज बोलने न लग जाय जब तक यह मुमकिन न हो तब तक हमारा धार्मिक व्यवहार अंग्रेक्ीमें चल ही नहीं
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