भजन संग्रह (प्रथम भाग) | Bhajan Sangrah (Pratham Bhaag)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
228
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[0৮]
भजन पृष्ठ -संख्या
बिनु गुपाल बैरिन भई कुंजें (लीला) १६०
भगति बिनु वैल बिराने हहौ (चेतावनी) १२५
भजन तिनु कूकर सूकर जसो ( +» ) १३०
भजु मन चरन संकटहरन (विनय) ११४
मधुकर ! इतनी कदियहू जाद् (लीला) १६०.
सधुकर स्याम हमारे चार (9 ) १६४
मर्नों हों ऐसे ही मरि जैहों (») २६२
माधव ! मोहि काहेकी छाज ! (विनय) ११५
मेरों माई ऐसों इठी बाल्गोबिंदा (लीछा) १५५
वैया मोरी, मै नहिं माखन खायो ( » ) १५६
मैया कबहिं बढ़ेगी चोटी (५9) १५२
मैया मोहिं दाऊ बहुत खिझ्ञायो ( » ) १५
मैया री मोहिं माखन भावे (9) १५५
मो देखत जसुमति तेरे ढोटा (9 ) १५४
मोसम कोन कुटिल खल कामी (देन्य) १२२
मोसम पतित न ओर गुसाई ! (चेतावनं) १४०
मोहन इतनो मोहि चित धरिये (प्रेम) १७५
मोहि प्रमु तमसौ होड परी ( 9 ) १७९
रुक्मिनि मोहिं ब्रज निसरत नादी (खीला) १७०
ই মন; कृष्णनाम कदि रीजे (नाम) ९२
रे मनं जनम पदारथ जात (चेतावनी) १२१
User Reviews
No Reviews | Add Yours...