बूँद बूँद मौत | Boond Boond Maut

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Boond Boond Maut by दिनेश खरे - Dinesh Khare

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दगा | 7 “वुत्तों मत, जसा मैं सोच रहा हैं वैसा तुम भी सोच रहे हो। हम मुतररिमो वी एवं ही वौम होती हे और एवं ही परम होता है। भातव, हो-हला और लुटमार 17 “लेकिन हमार-तुम्हार भर सोचने से षाम नही होगा । खाय लोग विना साथ देंगे । “सब देंगे । वया इनके पास कुबेर का वोई खजाना दै जिसने भरोसे ये जिदा है । हमारा दिमाग और इनवी मशववत रंग ला सकती है ।” दोनो वे ঘাণিযী শা তনক্কী ओर देखा। चिलम वी वश और भी तेज हो गदर सवक नलो म पशुवत वहशीपन तैरने सगा । कादिर ओर्‌ रम्मू ने स्वका এঘনী योजना मे जगत्‌ वराया तो सव्ये सय एकसाथ खड़े होकर फितमी अंदाज भे हाथ उपर বন্দ নীল তই --/डन” | নিজাম एक्‌ वार भौर भरी मरह और अपनी ज्यत्ति में शामिल करन वाले वंपटाश्जेशन वादे तथेक से सयको व्रवार पण का गई 1 हर नादी चिलम पोता जावा था और “चोयर अप! बहकर नई पोरनां वे लिये निमितं जाति मे शामिन होने फागतय भी जुताता जाता था। रे नैः क शूरे दिन भुवह ही णहर्यं एक धोन म कादरिर के साथियों ने आवाज মাপা चानू कर दिया । वात्तावरण वनतं में देर नहीं लगती । सपरों गौर सजमो वालों के देश से दशवा की भीट इकटठा हांने मे कितना समय लगता है । चतुद्दिक ध्याप्त वातावरण आवाजा से गुजायमान हो गया---'वपरिस्तान की खुदी ग कंदर हिन्दुमो का अत्याचार है । कत्र जात-वूककर शक्ति क्षताने और दवाव डालने वे लिये खोदी गई ह । हम इरावा बदला लेना हे । शव इब दूठे हो ज दसनाम खतर से 31 आवायो ने एादू का वास विया। लोगा वे शुद्ध सरल मन घृणा और विद्वेद से सलिन हो गये । न चाहते हुये भी लोग उसे छुलजूस में जुट्ने लगे । दिशाहीत लोगा का वह बैलाव गली गौर बूचा पे गुजर-गुझर बर लोगो के दिए सम वेमनस्य वे बीज भंकुरित षले समां । कादिर बे साथी भीड से फेने हुये मनोयल को बना रहे ये । कुद लोग बीच-बीच मे पत्थर भा मारते जाते थ ।




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