भिखारी | Bhikhari
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)% वेय १७
था, उतने ही उत्साह से सत्र कहानियाँ सुनते | एक प्यास-सी सब को
लग गई, जो पीने से और तेज होती थी ।
एक ने पास के गॉव के एक पहलवान का किस्सा सुनाया | वह
एक बहुत बहादुर आदमी था और भूत-प्रेत की कहानियों पर हँसा करता
था। लेफिन एक बार जब वह एक बाग से अंधेरी रात को निकला,
तो किसी ने एक पेड़ पर से कहा--“अब की वच्चा अच्छ फेसेव 1
पहलवान से लोगों ने कहा था कि भूत-प्रेत नाक से बोलते हैं, और
यह आवाज भी वैसी ही थी। मगर पहलवान को फिर भी विश्वास न
हुआ, वह समझा कि कोई उसे डराना चाहता है। उसने ललकार
कर कहा-- आओ, नेकल आओ, देखें तुम का करत हो! _
इसके वाद पता नहीं क्या हुआ | दूसरे दिन एक अहीर ने उसे
बाग के किनारे पड़ा पाया । उसका चेहरा नीला पड गया था, आँखें
बाहर गिरी पडती थीं, स्पष्ट था कि किसी ने उसका गला घोंठ दिया है।
उसी के पास एक हूटी लाठी भी पडी थी ।
सुनने वालों ने दिया रे, ठैया रे !! की आवाज लगाई । पीछे फिर-
फिर कर देखने लगे | एक को छींक आई, तो सब कॉप गये और चिल्ला
उठे | मगर यह कथा समाप्त ही हुई थी कि एक बूढ़ा अपनी बीती एक
कहानी सुनाने लगा और सब आँखे फाड़-फाइ कर उसकी तरफ देखने
लगे | वृद्ध की आयु कोई सत्तरवर्ष की थी ओर वह बोलते-बोलते
अक्मर खाँसनें-खखारने के लिये रुक जाता था| मगर उसकी शैली
इतनी अच्छी थी कि सब सॉस रोके सुनते रहे |
बूढ़े ने पहले तो अपनी जवानी का हाल बताया | वह बहुत तेज
दौड़ा करता था और कई मील एक ही चाल से जा सकता था| आस-
पास के गॉबों मे बह डाकगाडी के नाम से मशहूर था और जब कमी
कोई सन्देश बहुत जल्दी भेजना होता, तो वे उत्ते बुलाया करते घे । एक
बार वह ऐसे ही किसी काम से रात को वापस आ रहा था। श्रेधेरे म
रास्ता भूल गया और एक कूँत में घुस गया, जहाँ एक भूत रदा करता
था। वह एक वृक्ष के नीचे से सुजर रहा था कि उसकी हृष्टि सहसा
ऊपर् की ओर उठ गई और उसने दो गोल, पीली और चमकीली
आँखे देखीं, जो उसे धूर रही थीं | वे चाहे जिसकी आँखें रही हों, उसको
मालूम हो गया कि कोई उस पर मपटने वाला है, और वह उलटा
भागा | जैसे वह नीचे भाग रहा था चैसे ही वृक्षों पर मी कोई चीज
उ०--२
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