आशा की नयी किरणें | Asha Ki Naye Kirne

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दुबंछूता एक पाप है १७ को नहीं रोक सकते, न उप्तके विरुद्ध आवाज ही उठा सकते हैं। पातकी व॑ह है, जो अत्याचार सहता है; क्योंकि उसकी कमजोरी देखकर ही दूसरेको उसपर जुल्म करंनेकी दुष्प्रवृत्ति आती है । मनुष्यो ! दुर्वव्तासे वचो ! दुमैक्तामे एक रेषी गुप्त आकषेण- -दाक्ति है, जो अत्याचारीको दूरसे खीचकर आपके ऊपर अत्याचार करानेके लिये आमन्त्रित करती है | मजबूत तो हमेशा ऐसे कायरकी तल्ाशमें रहता है । वह्द प्रतीक्षा करता रहता है कि कब अवसर मिले और कब्र मैं अपना आतंक जमाऊँ | दूसरे शब्दोमें यदि आप निबेछ न रहें, तो सबको अत्याचार करनेका प्रलोमन ही न हो, बेइन्साफीको पनपनेका अवद्षर ही प्राप्त न हो। जहाँ प्रकाश नहीं होता, बहौ अन्धकार अपना आसन्‌ जमाता है | इस प्रकार जहाँ নিলা, अशिक्षा, अन्धरूढ़िंवादिता या किसी प्रकारकी कमजोरी ह्वोती है, वहींपर अत्याचार और अन्याय पनपता है। शक्ति ऐसा तत्त है, जो प्रत्येक क्षेत्रमें अपना अदूसुत प्रकाश दिखाता है और संसारको चमत्कत कर देता है | व्यापार, शिक्षा, खार्थ्य, योग्यता-चाहे किसी क्षेत्रमें आप शक्तिका उपाज॑न प्रारम्भ कर दें । आप प्रतिमावान्‌ बन जायेंगे । एक विद्वानंके ये वचन अक्षरशः सत्य हैं-“शक्तिकी विद्युत्‌- धाराम ही बल है कि वह मृतक व्यक्ति या समाजकी नपोंमें प्राण संचार करे और उसे सशक्त एवं सतेज बनाये |? शक्ति एक तत्वे है, जिसका आह्वान करके जीवनके विपिन




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