हिन्दी उपन्यासों में सामाजिक संचेतना के विविध प्रतिमान | Hindi Upnayaso Me Samajik Sanchetna Ke Vividh Pratiman

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Hindi Upnayaso Me Samajik Sanchetna Ke Vividh Pratiman by ललिता श्रीवास्तव - Lalita Srivastav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हो गया था । जौ बहुत सी प्मस्यार देश के सामने थीं, उनमें सर्वप्रमुख विभिन देशी राज्यों को मिलाकर राष्ट्र की रकता और देज्ञ के लिये नया संविधान बनाने का শা | কলা एवं संगठन का सारा जैय सरदार पटेल को है, जिन्होंने জু संकल्प, अपार दरदर्श्ति। रवं अपूर्व नीति-कुशलता से शीक्ष ही यह असम्भव सा पिस्मै बाला कार्य पूर्ण कर लिया । यदि नेहरू जी ने अनावश्यक हस्तद्षैप न किए होते, तो सरदार पटेल कश्मीर को भा मारत का अमिन अंग बना जाते ओए आज वह एक समस्या के रूप में न बना रहता । यह नेहरू जी की अयथार्थ नीति और अपने व्यक्तित्व बनाने की प्यास में देश को बलि चढ़ा देने की हठवमी थी कि कश्मीर आज मी हमारे वेश के नेताओं के तमाम दावों के बावजुद अमिन्‍न अंग नहीं बन सका है | उसका संविधान अलग है, कण्डा अलग है । किसी मारतवासी कौ वहा मृमि खधीदने तक की जाज्ञा नहीं है । संविधान बनाने का कार्य संविधान सभा द्वारा प्रारम्भ हुआ, जिसकी अध्यचाता ভাও হোজল্ত प्रसादनेकी थी । संविधान बनाने का पमृः य पप्विणित जाति के सर्वप्रमुख नेता ढा० अम्जेदकर ओर सर बेनयल राव को है, जो रक अनुमवी सिविल अधिकारी रव॑ वेधानिक सलाहकार थे । १६४० में यौजना जायीग गठित हुआ । इसे बार्थिक मंत्रीमंडल भी कहा जाता है । बढ़ादा के मुतपुर्व वीवान सर वीण टी० कृष्णामाचारी इसके प्रथम उपाध्यक्ष बनें । विधान के अन्तगत इसका अध्यक्ष संदव राष्ट्र के प्रधान मन्‍्त्री को होनाचाहिए । १६४२ में देश का प्रधम बम चनाव हुआ । यधपि प्रथम आम चुनाव मैं कांग्रेस को पूर्णा बहुमत प्राप्त था, लैकिन घीरे-धीरे नेहरू जी की गलत नीतियाँ के कारण कांग्रेस कै प्रति लौगों की आस्था कम होती गयी अर्‌ १६६७ के आम चुनाव में काग्रेस की हर অক্ষ तरफ बरी पराजय हुए | स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात सवाधिक महत्वपूर्णं राजनीतिक घटना मास्त-चीन বারা अब तोः क्राकत সারার তা গিয়া মনরে আরা र साफ ভারত কারান বারা आलोक केक भतः भः चिः चितेः निः १, स्‍न०9 वी० गाडगिल : गवनमिन्ट फ़ाम इन्साइटु (१६६८), पृष्ठ ४६ । २, अशौक वन्दा : इण्डियन सेडमिनिस्ट्रेश (१६४८), लनन्‍दन, प्रष्ठ ६२ ।




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