नौ आंसू | Nau Aansu
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
63 MB
कुल पष्ठ :
163
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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दूत, सम्धाद-बाहक मेघ, जब धारिज्रीदेवी का उत्ताप दुर
करने के लिये नन््ही-नन्ही बूँँदों से उन्हें खांचते और जब
मयरगण उन्हे देख हषे-विहल हो, तारड॒ब-नृत्य करते थे, तो
उनके पुच्ख-गुच्छं में बनी हुई नेत्राऊअति मानों सजीव होऋर
नेत्रों के द्वारा प्रियतम का शुभ सन्देश खुनाती थी। निदान,
कई वर्षों के कठिन तप से पसन्न हो एक दिन इन्द्र भगवान
ने मुसलाधार पानी बरसाना शुरू कर दिया । परजन्यदेव ने.
. भीषण भूतिं धारण कर सारे संसार को क्षावित कर दिया।
नदी-नदा ने मयादा तोड पहले तो बन मे प्रवेश किया, फिर
जिख पव॑त पर भ बेटा था, उसे ही डवानां चाहा । मै भागकर
एक बहुत ऊँचे वृक्त पर चढ़ गया; किन्तु देखा, जल `
भीषरण-भैरव ह कार करता श्रौर उस वृत्त के चारो ओर चक्कर
. लगाता हुआ ऊपर चढ़ रहा है। मैं बहुत घवराया, और बचने .
.._ का कोई डपाय न देख दोनों हाथ ऊपर उठा इन्द्रदेव की
इहाई देने लगा । इतने मे विद् त्पात के सदश एक भयानक
शब्दाघात हृध्रा, ओर जल पर स्वगं का दिव्य प्रकाश फेल `
गया । उस घोर संकट के समय भी विस्मय-विषुग्ध नेन से
मँ उनकी शरोर देखने लगा । उसी प्रकाशमे मिली इई, ननां
` भे चकाचोध डालने वाली एक श्रत्यन्त उज्ज्वल एवं वीिमयी
भव्य-सूर्ति सामने आकर खड़ी हो गई! मैंने चिह्ञाकर `
कहा--“हे स्वगांधिपति, द्या कर मेरे प्राण बचाइए, नहीं तो...
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