पुल टूटते हुए | Pul Tootate Hue

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पुल टूटते हुए / 17 खिलाफ जाने कितने पड्यन्त्र रचे जा रहे होंगे. यह एहसास दफ्तर में रहते हुए भी होता है. पर जब कभी बाहर जाता हूं और दफ़ार के बारे में सोचता हूं वो यह एहसास और भी शदीद हो जाता है. इस मनःस्थति से छुटकारा पाने के लिए मन को तरह-तरह से समाना पडता है. तव कटी इस एह- सास की शिदत कुछ कम होती है. मुझे यहाँ आए दस दिन हो चुके हैं. अब मुर्के जल्दी लौट जाना चाहिए. चाहूँ तो कुछ दिन और सकः सकता हूँ. लेफिन अब और रुकना मुझे अनावश्यक लगता है. इस एहसास के साथ ही मारा वातावरण मुझे उबाऊ नजर आने लगता है. कल ही पत्नी की चिट्ठी मिलो है. जल्दी हो लौट आने को लिखा है. बच्चे की तबियत ठीक नहीं दै. तन्हा से घबरा गयी है. वही घिसी-पिटो बातें जो आमतौर पर हर पत्नी अपने पति को लिखती है. एम जुमला मजुमदार के बारे में भी है. उती हाद अटैक हमा है. तो उसे फिर दिल का दौरा पड़ा है. मैं मजुमदार के बारे में सोचमे लगता हूँ. पहले भी उसे हार्ट अटेक हो चुका है. मस्ते-मरते बचा था. उसका दयनीय चेहरा मेरौ निभाहों में घूम जाता है. पर हमदर्दी का हल्का-सा 'एंह्सास भी मन में नहीं उभरता, अजीब खीऋ-सी हीती है उसके बारे में सोचकर, प्रोमोशन के लिए मरा जाता है. बड़ा सूरमा धनना चाहता था. बॉस से लड़ने चला था. बॉस से लड़ने के लिए कलेजा चाहिए. भावावेश में पेपरवेट दे मारना और बात है और प्रतिकूल स्थितियों से निरंतर जम- कर लड़ते रहना और बात, वह ज़रूर मत में आत्मग्लानि अनुभव करता होगा. ऊपर से विद्रोही का मुखोटा ओढ़ रखा है. लगठा है, इस बार भी प्रोमोशन नहीं हो सका. पिछली बार भी ऐसा ही हुआ था. स्वाभिमान, आत्मसम्मान--वातें तो बड़ी लम्बी-चौड़ी करता है. लेकिन अन्दर से शायद खुद भी समझता है कि उसकी ये बातें कितनी खोखली हैं. हर चात के नियम-कायदे होते हैं. नौकरो के भी कुछ नियम-कायदे हैं. बॉस से लड़कर कोई चैन से नहीं रह सकता. मजुमदार भी इसे समझता है. लेकिन एक बार भावाबेश्ञ में आकर बह जो कुछ कर बेठा उसका ततीजा सो उमे मुगतना ही पड़ेंगा. उसकी जो मनोवृत्ति वन गई है उसको देखते हुए फोई बॉस उससे खुश नही रह सकता. जाने वह बचेगा भी या नही




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