हितोपदेश | Hitopadesha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.28 MB
कुल पष्ठ :
152
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)-्दे
करनी का फठ
मित्रें वियकुम्भ॑ पयोमुसम् ।
दे 3 हद
सामने टूब-ना मधुर वो उनेवाले और पीठ
पीछे विय भरी छूरी मारने पाले मित को
छोड़ देना चाहिए ।
ही श ८ श
मगधघ देन मे चम्पारन नाम का विस्तृत वन हैं । किसी
समय उस वन मे एक कोआ और एक हिरण रहा करते थे ।
दोनो घनिप्ठ मित्र थे । हिरण स्वेच्छा से वन में मिश्चिन्त
दि था । एक दिन वह मस्त होकर घूम रहा था
उसे एक सियार ने देख लिया । हिरण के पुप्ट अग और
सल गरीर को देखकर सियार के मुंह में पानी भर आया ।
हु जानता था कि हिरण के साथ-साथ दौइ़ना या उससे
इना सम्भव नही, अतः नीति से काम लेना चाहिये । इस
हिरण के पास जाकर वह बोला :
मित्र, आप तो हैं !
तुम कौन हो ? मे तो तुम्हें पहचानता नहीं, हिरण
फँ आइचये से पूछा ।
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epustaka_book
at 2018-04-22 18:27:02epustaka_book
at 2018-04-21 05:51:22"Great"