जैन सिद्धान्त भास्कर भाग ७ | The Jain-sidhanth Bhaskar Vol-7(1997)ac.2420

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The Jain-sidhanth Bhaskar Vol-7(1997)ac.2420 by डॉ हीरालाल जैन - Dr. Hiralal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उम्मीर, रायकदिय ओर चन्द्बाड [ लखक-श्रीयुत दशरथ शमी, एम० ए० | किम सम्बन्‌ १३१३ मं रचित अअणुत्रत-रन-प्रदीप के रचयिता लक्ष्मण कवि न तसाम- यिक चौहानवंशी राजा आहवमछ के विषय मे निम्नलिखित बातें लिखी हैं:--- (४) वह यमुनातटस्थ रायबहियनगर का शासक मा, (२) उसके पूृवेज यमुनातटस्थ चन्दवाड़ नगर में राज़ करते थ, (३) उसने दृष्प्रत्ष्य म्लेक्छी पर विजय पाई और हम्मीर वीर के मन का शास्य नष्ट किया | अब अठन यहां हैं. कि आदरवमछ का समसामयिक यह हम्मीर वीर कोन था! प्रो० द्वीरा लाल जैन ने इसे रणथंसोर का राजा हम्मीर देव सममा हूं । प्रोफसर साहब ने यह अनु- मान इन शब्दों ५ किया हे3:--'आहवमद च म्न्य अथात शुसनमासां स भी टक्कर ली झोर विजय पाई नथा किसी हम्मीर बीर' की कुछ सहायता सी की थी। संभव है कि ये (हम्मीर वीर संस्कत क हम्मीरकाव्य नथा हिन्दी के हम्सीर रासो आदि अन्धों के नोयक (णथंभोर' के राजा हम्मीर देव ही हो । अलाउद्दीन खिलजी द्वारा रणशथ मोर की चढ़ाई का समय सन १२९९ 8० माना जाता हैं । इसी थुद्ध में 'हम्मीर देव” मारे गये थे। वर्तमान बललेख शोर लड़ाई के बीच में ४५० वष का अन्तर पड़ता हैं । यह अन्तर एक हीं व्यक्ति के जीवनकाल के लिये कुछ असम्भव नहीं है. । परन्तु मुझे यह अनुमान ठीक प्रतीत नहीं होता । इसके कारमा निम्नलिखित हैं:--- (१) सन १२५ १ अथात्‌ सम्बत्‌ १३१० में उलूग स्वां न रशथंभोर पर आक्रमण किया। उस समय रशाथंभोर का शासक हम्मीरदेव का दादा वाग्मट था ।! यह्‌ बहुत सम्मव है कि अणुत्रन-रत्र-अदीप के रचनाकाज अथात सम्बत १३१३ तक यही रखणथंभोर का शजा रहा हो । (२) हम्मीरमहाकोव्य करे वरणेन से प्रतीत होता है कि हम्मीर का जन्म उसके पिता जैन्र सिंह के राज्यकाल में हुआ था। जैन्न सिंह न सम्ब्रत्‌ १३३० तक राज्य किया और कह सम्भवतः सम्वत्‌ १३०२ के लगमग रणभ्रंभोर के राजरसिंहासन पर आसीन हुमा था । १ भास्कर ० किरणा ६ चष्ट १५७ दसं । हु २ भास्कर मा ‡ किरण ३ प्रष्टं १५०७ देष्णं । :” 8 लब्काते नासिरी रंयरटी-कृत अंग जी अनुवाद, एप्ड ८ब्प | « हम्मीर-महाकातय, सग », श्लोक १३८।




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