संघर्ष और शान्ति | Sangharsh Aur Shanti

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Sangharsh Aur Shanti by Swami Karpathig

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about स्वामी करपात्रीजी - Swami Karpathig

Add Infomation AboutSwami Karpathig

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
्् सट्ड्प 'और शान्ति करनेवाला है, यदि मद रद गया, तब हो त्वातिरिक्त ही सर का अमाव छिद्ध दोगा, घपना झभाय नहीं छिदध दा सकता !. सर्वनिराकर्ता, सर्व नि्देष की श्रवषि पुवें सकी सूत के श्रस्वीकार करने पर शूत्य सी श्रयान माशिक डोगा । शत, वही झत्यन्त झवाधित, सर्वदाघ का श्धियान एवं साक्षीमत श्रस्तित्र या सत्ता दी मगयान_ का “वर रूप दै ! साथ ही बोध श्रौर पकारा के लिए प्राणिमान में उत्सुकता दिव्वाई दती दै । पु पत्ती भो स्पर्श से, श्रामतण से किसी तरद शान के प्रोमो है | यद शान वी वाज्दा उत्तयेत्तर बढ़ती रदतों है । दर्प श्रन श्मुझ हंस का शान दो, अच श्मुक का हो, इंतिदा6, भूगोल, गोल, मूत+ तत्व एवं श्र घिभूत, अध्यात्म, श्राधिदेय ठमो तर््जों को जानने को इच्ठा होती दे । किं बहुना दिना सपश्त के शान में सन्तोप नहीं होता! पूर्ण समशता करों हो सच्ती दे यद विवेचन करने से स्पथ दो लाता दै कि सब पदार्थ जिस स्वपरकाश, द्यखण्ड, विशद्ध मान ( बोध ) में कल्पित हैं, बदी सर्वावभासक एव सर्द दो सकता दै, क्योंकि प्रशादा या मांग '्रत्यत शरसद्ञ एव निखयर श्रीर ग्नस है । उपका दृश्य के साथ सिंय द्ाध्यासिक सम्बन्ध के शरीर सयाग, समझय श्ादि सम्बन्ध बन ही नहीं सकता । श्रव यदि सर्यश दोने की वाज्या दे, तो सवावसासक, समेिघान, विशुद्ध, पष्द बोध टोने की वाज्छा दे । यदद श्रलएड चेष ही... भगवान का “चित रूप दे। जेवे पूर्वोर 'ग्रलरड, अनन्त, सपजाय सत्ता या अस्वित ही. झपना चया सब का निव रुप हे, वैषे ही यह श्रराप्य, श्रखणड शोध भी सब का अन्तणत्मा दै ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now