मास्टरजी | MASTERJI
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
819 KB
कुल पष्ठ :
23
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
दामोदर अग्रवाल - DAMODAR AGRAWAL
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आपके हिस्से का अनार . [5
एक दिन मुरारी जब सकल से अपने घर लौट रहा था, रास्ते में फलों की एक
दुकान के सामने अचानक रुककर कछ देखने लगा। एक टोकरी में कछ अनार रखे
हुए थे। बड़े-बड़े, लाल-लाल दानों वाले, कांधारी, रस से लबालब। दकानदार ने
एक अनार को तोड़कर लोगों को ललचाने के लिए टोकरी में सबसे ऊपर रख
छोड़ा था। मुरारी की नजर उसी पर जाकर अटक गई थी। वह अपने मुंह का पानी
रोक नहीं पां रहा था और किसी तरह उस अनार को हड़प कर खा जाना चाह रहा
था।
फल वाले ने जब उसको इस तरह अनार पर नजर गड़ाए हए देखा, तो
उसको पास बुलाकर पूछा- क्या चाहिए?” म्रारी पल-भर को कछ बोल नहीं
सका। उसको लगा कि अनार खाने का उसका सपना पूरा होने जा रहा है। इसलिए
उसने डरते-डरते पछा--' उस अनार के कितने पैसे लगेंगे?” दकानदार ने फट से
अनार को तौलकर कहा-' दो सौ ग्राम है, कल साढ़े चार रुपये। *
साढ़े चार रुपये सुनकर मुरारी का सर चकरा गया। इतने पैसे एक अकेले
अनार के लिए ? लेकिन अनार खाने हैं, तो पैसों का इंतजाम तो करना ही पडेगा।
उसने अपने आप से कहा-मेरे सकल में इतने रुपये तो महीने-भर की फीस के भी
. नहीं होते। एक खट॒टा-सा फल और इतना मंहगा।
खा जानता था कि उसकी जेब में बस एक ही रुपया है। फिर भी उसने
अपनी जेब को टटोल कर देखा और यह पक्का हो जाने पर कि उसके पास सचमच
एक ही रुपया है, वह अचानक बुझ-सां गया। अपने आप से कछ बदबदाते हए
बोला-जामुन, बेर और अमरूद भी कोई फल है? इन्हें तो जंगलों में बंदर भी
खाते हैं। आम को भी हमारे 'मास्साब' बेकार में फलों का राजा कहते हैं। फलों का
के राजा तो अनार है। कितना सुंदर है यह फल, जिसका एक-एक दाना रत्नों
जैसा है।
मरारी कछ देर वहीं रुका रहा और सोचता रहा। उसने पजारीजी की बगीची
के छोटे-छोटे देसी, कच्चे-पकके अनार तो चखे थे। अनार के लाल-लाल फलों से
वह खेला भी था। पर इतना लभावना, इतना बड़ा और रसीला अनार उसने
चखने को कौन कहे, कथी देखा भी न था। इसलिए उसने मन-ही-मन कहीं से
के चार रुपये इकट्ठा कर कल-परसों तक एक अनार खरीदने का पक्का इरादा
या।
उसको अभी तक वहीं ठिठका हआ और कछ सोचता हआ देखकर फल वाले
ने पूछा-' क्या घर में कोई बीमार है? किसके लिए अनार लेना चाह रहे हो? पैसे
का हों, तो अनार ले जाओ। हम तम्हारे पिताजी को जानते हैं। पैसे बाद में आ
जाएंगे।
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