समस्त गतियाँ सापेक्ष हैं | SAMAST GATIYAN SAPEKSH HAIN

SAMAST GATIYAN SAPEKSH HAIN by पुस्तक समूह - Pustak Samuhविनय बी० काम्बले - VINAY B. KAMBLE

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विनय बी० काम्बले - VINAY B. KAMBLE

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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होने पर भी प्रकाश की गति किसी वस्तु के सापेक्ष परिवर्तित नहीं होती थी। द्वव्यमान, दिक्‌ और काल सभी परिवर्तित होते हैं, और उनका परिवर्तित होना इस खात पर निर्भर होता है कि आप कितनी त्तेजी से गतिशील हैं। आप जितनी तेजी से गतिशील होते हैं अन्य प्रेक्षकों की दृष्टि में आपका द्रव्यगान उतना ही अधिक होता है, आप उसी अनुपात में कम स्थान ग्रहण करते हैं और आपके लिए समय उतनी ही धीमी गति से गुजरता है। आप की गति और प्रकाश की गति में जितना अधिक सामिप्य होता है, ये प्रभाव उसी अनुपात में बढ़ते जाते हैं। आइए, सापेक्षता के सिद्धांत के कुछ प्रभावों का जायजा लें। रसेल एए हल्स .. पॉल एड्रियन मौरिस डियक समय-विस्तार आइंस्टीन के विशेष सापेक्षता सिद्धांत की दोनों अभिधारणाओं से तत्काल निष्कर्ष निकलता है कि हमें समय की पारंपरिक अवधारणा को बदलना होगा। पारंपरिक सोच के अनुसार, हम यह मान कर चलते हैं कि समय हर स्थान पर और सबके लिए एक है। क्यों नहीं? यह मान्यता बिल्कुल स्वाभाविक लगती है कि “अब” समय की सत्ता विश्व में कहीं भी उपस्थित किसी भी यात्री के लिए सार्वभौम (युनिवर्सल) है। लेकिन सापेक्षता के विशेष सिद्धांत के अनुसार समय की रफ्तार ऐसे दो प्रेक्षकों के लिए एक-समान नहीं हो सकती। यदि आप एक अंतरिक्ष यात्री हैं और प्रकाश की 90 प्रतिशत रफ्तार से (लगभग 2,70,000 किमी. प्रति सेकंड) यात्रा कर रहे हैं तो कैलेंडर के मुताबिक चलने वाली अपनी घड़ी के मुताबिक पांच साल यात्रा करने के बाद पृथ्वी पर लौटने पर पाएंगे कि आप आएने पीछे जिस मित्र को छोड़ गए थे, उसके लिए 10 वर्ष का समय बीत चुका है। और यदि आप अपने इंजन को इतनी शक्ति से चला सके ह1; आपके लिए प्रकाश की 99.99 प्रति रफ़्तार से यात्रा करना संभव हो जाए तो 6 माह यात्रा करने के बाद आप पाएंगे कि आपकी अनुपस्थिति में पृथ्वी पर 50 वर्ष बीत चुके हैं। किसी प्रेक्षक के सापेक्ष गतिशील घड़ी की रफ्तार प्रेक्षक के सापेक्ष स्थिर निर्देश प्रणात्री में स्थित घड़ी की तुलना में धीमी लगती है। यदि हम 3 निर्देश प्रणाली, या स्थिर निर्देश प्रणाली से हमारे सापेक्ष गतिशील निर्देश प्रणाली $' में किसी घटना को । समय दैर्घ्य 42 * समस्त ग्तियां यापेक्ष हें




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