अपराध और दंड | Apradh Aur Dand

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नरेश नदीम - Naresh Nadim

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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8/21/2016 अफानासिविच के यहाँ जाने के लिए चल पड़ा। महामहिम इवाना अफानासिविच, उन्हें तो आप जानते होंगे नहीं जानते फिर तो आप सचमुच एक बहुत ही अच्छे आदमी को नहीं जानते। वे मोम हैं... भगवान जानता है, बिलकुल मोम; मोम की ही तरह पिघल्र भी जाते हैं! मेरी कहानी सुन कर उनकी आँखें डबडबा आईं। कहा, 'मार्मेलादोव, तुम पहले एक बार मेरी उम्मीदों पर पानी फेर चुके हो... मैं एक बार फिर तुम्हें रख लूँगा, खुद अपनी जिम्मेदारी पर' - यही शब्द थे उनके, 'याद रखना', उन्होंने कहा, 'और अब तुम जा सकते हो।' मैंने उनके पाँव की धूल को चूमा - मेरा मतलब है मन ही मन, क्योंकि सचमुच तो वे मुझे कभी ऐसा नहीं करने देते, क्योंकि वे राजनेता हैं और आधुनिक राजनीतिक और प्रगतिशील विचारों के आदमी हैं। मैं घर लौट आया और जब मैंने सबको बताया कि मैं नौकरी पर फिर बहाल कर दिया गया हूँ और मुझे तनख्वाह मिला करेगी, तो कसम से, कैसा जश्न हुआ...' मार्मेलादोव एक बार फिर बहुत उत्तेजित हो कर रुक गया। उसी वक्‍त पहले से ही शराब पिए हुए लोगों की पूरी टोली सड़क पर से हंगामा मचाती हुई अंदर आ गई। शराबखाने के दरवाजे पर सात साल का एक लड़का किराए के आर्केरियन पर अपनी महीन आवाज में 'छोटा-छोटा झौंपड़ा' गा रहा था। सारा कमरा शोर से भर गया। शराबखाने का मालिक और छोकरे नए गाहकों में उल्ल्ल गए। मार्मेलादोव ने नए आनेवालों की ओर कोई ध्यान दिए बिना अपना किस्सा जारी रखा। लगता था अब तक वह बेहद कमजोर हो चुका है, लेकिन उस पर शराब का नशा जितना ही ज्यादा चढ़ता गया, वह उतनी ही ज्यादा बातें करने लगा। लगता था नौकरी पाने में उसे हाल ही में जो सफलता मिली थी, उसकी याद करके उसमें नई जान आ गई थी, और यह बात निश्चित रूप से उसके चेहरे पर एक तरह की चमक में झलक रही थी। रस्कोलनिकोव ध्यान से सुनता रहा। 'यह बात पाँच हफ्ते पहले की है, जनाब। जी हाँ... तो जैसे ही कतेरीना इवानोव्ना और सोन्या ने इसके बारे में सुना, दया हो ऊपरवाले की हम पर, ऐसा लगा कि मैं स्वर्ग में पहुँच गया हूँ | पहले होता यह था कि जानवर की तरह पड़े रहो, कुछ भी गालियों के अलावा नहीं मिलता था। अब वे दबे पाँव चलती थीं, बच्चों से चुप रहने को कहती थीं। उन्हें समझाती थीं : 'सेम्योन जखारोविच दफ्तर में काम करते-करते थक गए हैं, आराम कर रहे हैं, शि:!' मेरे काम पर जाने से पहले वे मेरे लिए कॉफी बनाती थीं और उसमें क्रीम डाल कर देती थीं! अब वे मेरे लिए कहीं से असली क्रीम लाने लगीं, सुन रहे हैं न आप और मेरी समझ में यह भी नहीं आता कि कहाँ से उन्होंने मेरे पहनने के लिए ढंग के कपड़ों के पैसे जुटाए - पूरे ग्यारह रूबल पचास कोपेक। जूते, बेहतरीन सूती कमीज का सामना, कोट- पतलून। उन्होंने हर चीज बहुत ठाठदार जुटाई थी, महज साढ़े ग्यारह रूबत्र में। पहले दिन मैं शाम को जरा जल्दी लौटा तो क्या देखता हूँ कि कतेरीना इवानोव्ना ने दो कोर्स का डिनर तैयार कर रखा है - सूप और मसालेदार गोश्त, और मूली की चटनी -हमने कभी ऐसे खाने की कल्पना भी उस वक्‍त तक नहीं की थी। उसके पास ढंग के कपड़े नहीं हैं... हैं ही नहीं, लेकिन वह ऐसी सजी-सँवरी जैसे किसी से मिलने जा रही हो। और ऐसा भी नहीं कि उसके पास इसका साज-सामान रहा हो, वह तो बिना किसी चीज के सज गई। उसने सलीके से अपने बाल बनाए, जैसा भी बन पड़ा एक साफ कालर लगाया, आस्तीनों के सिरे पर कफ लगाए, और आप देखते कि कैसी कायापलट हो गई थी उसकी। पहले से ज्यादा जवान, और ज्यादा खूबसूरत। मेरी प्यारी बच्ची सोन्या ने तो सिर्फ पैसे से मदद की थी। उसने कहा था, 'अभी मेरे लिए यहाँ बहुत ज्यादा आना-जाना और आप लोगों से मित्नना ठीक नहीं रहेगा। बस कभी-कभी अँधेरा हो जाने के बाद, जब कोई देख न सके।' सुना आपने खाना खा कर मैं एक झपकी लेने के लिए लेटा, और फिर क्या हुआ जानते हैं आप अभी पिछले ही हफ्ते कतेरीना इवानोव्ना का हमारी मकान- मालकिन अमालिया फ्योदोरोव्ना से भयानक झगड़ा हुआ था, लेकिन उस वक्‍त वह उसे कॉफी पीने के लिए बुलाए बिना न रह सकी। दो घंटे तक वे दोनों बैठी आपस में खुसर-पुसर करती रहीं। 'अब सेम्योन जखारोविच की फिर 1674




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