संघर्ष के सात गीत | SANGHARSH KE SAAT GEET

SANGHARSH KE SAAT GEET by पुस्तक समूह - Pustak Samuhमधुसुदन विश्वकर्मा - MADHUSUDAN VISHWAKARMA

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मधुसुदन विश्वकर्मा - MADHUSUDAN VISHWAKARMA

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२ २८ मार्च सन्‌ १९९१ का हाल सुनिये सज्जन भाई, एक ऐसा हाल बताता हुं, टेडेंसरा में भोजवानी आये, उनका हाल सुनाता हुं । २४ मार्च मंत्रीजी आयेंगे, अखबारों से जब खबर मिला, मजदूर-किसानों के दिलों में अरभानों का फूल खिला भूमि-पुजन हेतु भोजवानी ज्यों ही गांव में आये इतने दिन तुम कहां रहे, ग्रांब वाले सब आवाज दिये । जवाब न दिये मंत्रीजी ने, न तो कुछ भी वात किये, लाइट बझाया गाड़ी के और कोपडीह की ओर भाग गये । शाम को साढ़े सात बजे, मंत्री फिर बापस आये, गांव के जितने चमचे, सबको अपने पास बूलवा लिए । देकर- पैसे चमचों को अपना धाक जमायें, लाल हरा बालों को गांव से भगाओ, आवाज चमचे उठाये । गांव के जिन्लने किसान हैं, बात उनको बर्दाश्त न हुयी, पैसे खाये हो तुम चमचे, ऐसी सबने आवाज दो | - इतकी मांगे जायज है, सही सही बतलाता हूं, टेडेसरा में भोजवानी आयें, उनका हाल बताता हुं । (२८ माच, १९९१ को मध्यप्रदेश के श्रम मंत्री लोनाराम भोजकानी टेइसरा में थाने पर, उनकों ग्राम वासियों का प्रबल विरोध का सामना करता पड़ा। जश्ठुत हैं उस दिन की घटना के बारे में एक कविता ।) (2).




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