कहानी केलों की | KAHANI KELON KI

KAHANI KELON KI by पुस्तक समूह - Pustak Samuhमनीषा चौधरी - MANISHA CHAUDHARYरोहिणी निलेकनी -ROHINI NILEKANI

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मनीषा चौधरी - MANISHA CHAUDHARY

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रोहिणी निलेकनी -ROHINI NILEKANI

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शिवन्ना दौड़ा-दौड़ा श्रिंगेरी श्रीनिवास के पास पहुँचा। “पहले मना करने के लिये माफ़ी चाहता हूँ पर अब मुझे 108 पके केले चाहियें। मेरी मदद करोगे?”




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