लियो तोल्स्तोय की ज़िंदगी से कुछ सबक | Leo Tolstoy Ki Jindagi Se Kuch Sabak

Leo Tolstoy Ki Jindagi Se Kuch Sabak by अरविन्द गुप्ता - Arvind Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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छठवां सबक: अपना सामजिक दायरा बढ़ाओ तोल्स्तोय की ज़िन्दगी की सबसे अहम्‌ सीख क्‍या है? कि हम अपनी मान्यताओं और पूर्वाग्रहों को चुनौती दें और दुनिया को एक नए अंदाज़ से देखने का नजरिया पैदा करें. इसके लिए ऐसे लोगों से मिलें और सम्बन्ध बढ़ाएं जिनके विचार और जीवनशैली हमसे बिलकुल भिन्‍न हों. इसलिए तोल्स्तोय ने मास्को के अमीर लोगों का साथ छोड़ा और अपना अधिकतम समय ज़मीन से जुड़े किसान-मजदूरों के साथ बिताया. उन्होंने अपनी पुस्तक 'रेसुर्रेक्शन” में लिखा कि ज़्यादातर लोग - चाहें वो पूंजीपति, राजनेता या फिर चोर ही क्‍यों न हों, सभी को अपनी मान्यताओं और जीवनशैली पर पूरा यकीन और नाज़ होता है. “अपने विचारों और जीवनशैली को बरक़रार रखने के लिए,” तोल्स्तोय ने लिखा, “यह लोग हमेशा अपने जैसे सोच वाले लोगों के साथ ही रहते हैं. अगर हम अपनी मान्यताओं और पूर्वाग्रहों को चुनौती देना चाहते हैं तो हमें तोल्स्तोय के रास्ते पर चलना पड़ेगा. इसके लिए हमें उन लोगों की संगत में रहें जिनके विचार और मान्यताएं हमसे बिलकुल अलग और भिन्न हों. हमें अपने चारों ओर खुद बनाये गोले की परिधि से परे की यात्रा करनी पड़ेगी.




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