श्रीनाथ- की बाल कविताओं का संकलन | SHRINATH - KI BAL KAVITAON KA SANKALAN

SHRINATH - KI BAL KAVITAON KA SANKALAN by पुस्तक समूह - Pustak Samuhश्रीनाथ सिंह -Shri Nath Singh

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श्रीनाथ सिंह -Shri Nath Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बीच बीच में बैंड बजाते | सेना के जवान जाते हैं , हमें बहुत ही ये भाते हैं | दोनो ओर सड़क पर भारी , भीड़ त्रगायें हैं नर नारी | उन्हें बधाई देते हैं सब , बजा बजा कर ताली जब तब | भारत की सीमा विशाल है , कहीं चढ़ाई कहीं ढाल है | दुर्गम घाटी ऊँचे टीले , मीलों मार्ग कठिन बर्फीले | वहाँ आ डटा है जो दुश्मन , चाह रहा औ करे आक्रमण | बढे वहाँ तक जायेंगे ये , उस को मार भगायेंगे ये | हम तो अभी निरे हैं बालक , लेकिन देश भक्त प्रण पालक | सीख रहे हैं शस्त्र चलाना , कदम मिलाना ,कदम बढ़ाना | और बड़े कुछ हो जाने पर , हम भी वीर सिपाही बनकर , इसी तरह से मार्च करेंगे , अगर पुन: दुश्मन उभरेंगे | ऊब गई हूँ गुड़िया से मैं ,




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