एक मधुमक्खी और एक गुलाब | EK MADHUMAKHI AUR EK GULAB
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
558 KB
कुल पष्ठ :
15
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)1 5/753 हाजिर है, उसने छत्ते के दरबान से आकर कहा।
दरबान एक रजिस्टर में कुछ लिख रहा था।
“तुम कितने फूलों का पराग चुन कर लाए हो,“ दरबान ने जोर
की आवाज में पूछा |
करीब सौ का,” उसने अपना सिर उठा कर जोशीली आवाज़ में
जवाब दिया। द
करीब! दरबान ज़ोर से चिल्लाया | “यह करीब क्या बला है! मुझे
. एकदम सही संख्या बताओ | मुझे लगता है कि 15/753 तुम अपनी
ड्यूटी ठीक तरीके से नहीं कर रहे हो।”
बा जा की के में का मी
सोचो मत नंबर 15/753 । सोचने से भला कभी किसी का
फायदा हुआ है। इस तरह तुम सीधे खड्डे में जाओगे। सुनो यहां का .
पहला नियम है - करो! सोचो मत!”
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कोई खास काम करना होता है।
“अगली बार मैं इसका ध्यान रखूंगा,“ बॉबी बुदबुदाया।
“अगली बार नहीं अभी से ही इस नियम को गांठ बांध लो,”
दरबान गुर्राया, “चलो पराग को वहां झटपट खाली करो और अगले
घंटे में 210 फूलों का पराग चुन कर लाओ |”
इस तरह मधुमक्खी के छत्ते में बॉबी की ट्रेनिंग शुरू हुई |
हम यह न भूलें कि वो अप्रैल का महीना था | अभी पौधों पर केवल
छोटी-छोटी कलियां ही लगीं थीं। फूल बहुत कम थे। जब फूल इतने
कम हों, ऐसे मौसम में 210 फूलों का पराग चुन कर लाना कोई
आसान कांम नहीं था। पर मैं आपको बताना चाहता हूं कि बॉबी ने
अथक परिश्रम करके इस असंभव काम को पूरा किया। दरबान ने
इसके लिए बॉबी को कोई शाबाशी नहीं दी | बॉबी से पराग को एक
बड़े से बर्तन में डाल कर दुबारा जाने को कहा गया | उसे बीच में चाय
पीने तक की छुट्ठी नहीं मिली |
. बस रात को उसे कुछ आराम मिला। दिन भर की साफ हवा और
धूप के बाद अब छत्ते के अंदर उसे घुटन और अंधेरा लगं॑ रहा था।
परंतु बॉबी को करीने से रखे अपने इस घर पर बहुत गर्व था।
हरेक मधुमक्खी को छत्ते में है
कुछ ठंडी रात के समय अपने
पंखों को तेज़ी से हिलाते रहते
हैं जिससे कि शहद से चिपका
हुआ पानी सूख जाए। कुछ
छत्ते की सफाई करते हैं
और कचरे को इकट्ठा
करके बाहर फेंक देते
हैं| कुछ का काम छत्ते
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