काचू की टोपी | Kachu Ki Topi
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
101 KB
कुल पष्ठ :
3
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)8/110/2016
काचू के चेहरे पर खुशी झलक आई। उसने टोपी ली और उसे अपने सिर पर पहन लिया। यह क्या? टोपी में पहली
वाली गरमी मौजूद थी। उसे नींद-सी आने लगी तो वह एक खाली कुर्सी पर बैठ गया।
काचू बोला, साहब, आपने मेरी टोपी की तलाश की, इसके लिए धन्यवाद। पर मैंने चोरी भी की थी। उसकी सजा
भी दीजिए।
थानेदार को भी इस खेल में मजा आने लगा था। उन्होंने कहा - तुम्हारी सजा यही है कि तुम टोपी पहन कर...।
पर सजा की पूरी बात सुनने से पहले ही काचू को नींद आ गई थी | काफी देर बाद उसकी आँख खुली | उसने देखा,
थानेदार और कुछ सिपाही उसकी बात करके हँस रहे हैं। उसने थानेदार से कहा - साहब, सजा की बात सुनने से
पहले ही मुझे नींद आ गई थी। आपने मुझे क्या सजा दी थी?
हँसते हुए थानेदार बोले, तुमने सजा पूरी कर ली है। मैंने तुम्हें टोपी पहन कर दो घंटे सोने की सजा दी थी।
नहीं साहब नहीं, मैंने सजा के रूप में नींद नहीं ली थी। मुझे तो यूँ ही नींद आ गई थी। आपने जो सजा दी थी, उसे
पूरी करने के लिए मैं अब सो रहा हूं...।
काचू फिर सो गया। उसे सोते देख थानेदार और सिपाही फिर हँस पड़े। काचू को क्या, उसकी टोपी में बीवी के
प्यार, सच्चाई और ईमानदारी की गरमी थी। उसे यही चाहिए। दो घंटे बाद काचू अपने आप जाग गया या थानेदार
ने उसे जगाया, यह हमें नहीं मालूम।
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