धम्मक धम | DHAMMAK DHAM

DHAMMAK DHAM by कमला भसीन - KAMALA BHASINपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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कमला भसीन - KAMALA BHASIN

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इतवार आया इतवार आया इतवार हम सब का प्यारा इतवार नहीं स्कूल आफिस का डर मम्मी भी धर पापा भी घर पापा बनाकर लाते नाय 1 >> | मम्मी पढ़ती हैं उंखबार उक्क्‍वस्स्‍्प्मप ८ 2 मी _प जाया न्‍ 1 या इतवार उ हब्यको है न पर श्र 1 वा आया इतवार के 2 ० विन आ-०... (1830-77. 'नयममप+ नम कर की किला | कि हे न स है ! * 520 जन पे धो न (1 हि हो थे दा 22222 ं | ् 5 का हम सबका प्यारा इतवार जज फ जे च न्‍ भ +' ही ये कविताएं कमला भसीन द्वार[ लिखी गई, चित्र मिकी पटेल द्वारा आंके गये और इन्हें हाथ से संजोया प्रद्दीप ऐरी ने । पुस्तक संयुक्त राष्ट्र थाल कोष द्वारा निर्भित है जिसके पास इसके सर्वाधिकार सुरक्षित हैं। पुस्तक का कोई भी अंश व्यावसायिक उद्देश्यों के लिये इसकी लिखित अनुमति के बिना प्रयोग नहीं किया जा सकता। युनिसेफ़ युनिसेफ़ भवन, ७३लोदी एस्टेट, नई दिल्ली - १९१०००३




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