तरबूज की दुनिया | TARBOOZ KI DUNIYA

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कबीर संजय - KABEER SANJAY

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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8/02016 फिर सब लोगों को एक उपाय सूझा। उन्होंने ट्रेन की छत पर तरबूज को बाँध दिया। अब ट्रेन छुक-छुक किए जा रही है। और उस पर लदी हुई तरबूज की दुनिया भी तेजी से भागती जा रही है। ट्रेन आगे भागी जा रही है और उससे निकला हुआ मोटा सा धुआँ पीछे की ओर। तरबूज की दुनिया में सब लोग खाँसने लगे। उनकी आँखों में धुओँ घुस गया। उन्हें चक्कर आने लगे। ट्रेन के इंजन से निकले काले धुएँ से तरबूज की हरी-हरी दीवार काली होने लगी। तरबूज की चिकनी दीवार खुरदुरी होने लगी। अंदर तरबूज की दुनिया के छोटे-छोटे बीजों का भी खाँस- खाँसकर बुरा हाल था। वे खाँसते जा रहे थे। खाँसते जा रहे थे। उनकी आँखों से पानी निकलने लगा। उनके मुँह भी तरबूज की दुनिया की तरह ही लाल होने लगे। अब क्या किया जाए। नहीं भाई ऐसे नहीं होगा। ऐसे तो तरबूज की दुनिया ही काली हो जाएगी। अब कुछ और करना होगा। तभी तरबूज की दुनिया को ले जाया जा सकेगा। तरबूज को ट्रेन की छत से उतार लिया गया। लेकिन, तरबूज की दुनिया बदरंग हो चुकी थी। काली-काली। लेकिन, उसी समय अचानक बादल आए और जोर-जोर से बारिश होने लगी। बारिश में तरबूज की दुनिया में लगी पूरी कालिख धुल गई। तरबूज फिर से सुंदर हो गया। हरा और सुंदर। इतना चिकना कि अगर कोई बच्चा उस पर चढ़ने की कोशिश करे तो फिसल कर गिर जाए। अब कैसे जाएगी तरबूज की दुनिया। सब लोग यही सोचने लगे। क्यों न इसे हवाई जहाज पर ले जाया जाए। अब सब लोग उसे लेकर हवाई अड्डे पहुँचे। एयरपोर्ट बहुत बड़ा था। उसमें कई सारे प्लेन खड़े थे। दूर-दूर तक प्लेन के दौड़ने के लिए पक्की, सीमेंट की सड़क बनी हुई थी। जहाज उस पर दूर से दौड़ते हुए आते, तेज, और तेज। उसके बाद और तेज। उनकी आवाज से कान फटने लगता। खूब तेज। इसके बाद वे तेजी से हवा में छल्राँग लगा देते। इतनी तेज छलाँग की वे आसमान में ऊँचा और ऊँचा उठने लगते। ये छलाँग इतनी लंबी है कि अब जहाँ उन्हें उतरना है वहीं जाकर रुकेंगे। छल्ाँग तो सचिन को भी लगानी आती है। लेकिन, छोटी सी। बस एक नाली के एक तरफ से छलत्राॉग त्रगाकर दूसरी तरफ पहुँच जाओ। लेकिन, इतनी बड़ी छलाँग की आसमान में चले जाओ। नहीं अभी तो इसे सीखना पड़ेगा। एयरपोर्ट पर एक के बाद एक कई जहाज छलाँग लगाते हुए आसमान में उड़ गए। ऐसे ही कई जहाज एयरपोर्ट पर कूदते भी जा रहे थे। अचानक ही आसमान में एक बड़ा सा जहाज दिखाई पड़ता। फिर वह और बड़ा हो जाता। इतना बड़ा कि लगता कि कहीं सिर पर ही न गिर पड़े। उसका इंजन तेजी से गुर्राने लगता। शोर से कान भी फट जाए। फिर जहाज नीचे सड़क पर कूद पड़ता। जमीन पर उतरने के बाद भी वह दूर तक तेजी से भाग जाता था। ये छल्राँग तो बड़ी मजेदार है। अब तरबूज को हवाई जहाज पर चढ़ाया जाने लगा। लेकिन, नहीं, ये काम तो और भी मुश्किल है। फिर वही समस्या आ गई। प्लेन के दरवाजे तो हैं छोटे-छोटे। अब उसमें से तरबूज अंदर जाए तो कैसे जाए। लोगों ने काफी कोशिश की। लेकिन नहीं, तरबूज अंदर नहीं गया। लोग थक कर हार गए। फिर तो बस एक ही उपाय रह गया कि तरबूज को प्लेन की छत पर बाँध दिया जाए। एक बार फिर से तरबूज को प्लेन की छत पर बांधा गया। प्लेन के चारों तरफ बड़ी सी रस्सी लपेटकर तरबूज को बाँध दिया गया| अब प्लेन तरबूज की दुनिया को पीठ पर लादकर तेजी से दौड़ने लगा। उसकी रफ्तार तेज हो गईं। तेज और तेज। खूब तेज। और उसने आसमान में छल्लाँग लगा दी। आसमान में जहाज उड़ने लगा। 4/5




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