प्राचीन और नवीन | PRACHEEN AUR NAVEEN

PRACHEEN AUR NAVEEN by अरविन्द गुप्ता - ARVIND GUPTAपुस्तक समूह - Pustak Samuhमुनरो लीफ- MUNRO LEAF

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मुनरो लीफ- MUNRO LEAF

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्राचीन खुशनसीब था कि जल्दी ही उसकी तबियत ठीक हो गई | परंतु कुछ महीनों बाद उसने बहुत सारे जंगली सेब खा लिए | उससे उसके पेट में बहुत जोर का दर्द हुआ। प्राचीन की हालत को देख कर एक जंगली सुअर हंसने लगा, मानों कह रहा हो,“अरे तुम से तो मैं ज़्यादा समझदार हूं”।. वीन अच्छी तरह जानता है कि उसकी हालत प्राचीन से कहीं बेहतर है। नवीन को कीटाणुओं के बारे में मालूम है जिनकी खोज वैज्ञानिकों ने पिछली शताब्दी में की थी। प्राचीन के नस समय में तो किसी ने कीटाणु शब्द का नाम तक नहीं सुना था। गंदी मिट्टी या सड़े भोजन से वो बीमार पड़ सकते हैं, उन्हें इसका बिल्कुल अहसास नहीं था। 26 स्कूल जाने से पहले ही नवीन जानता था कि वो बहुत भाग्यशाली है। उसके घर में पीने का स्वच्छ पानी है और शरीर की सफाई के लिए साबुन और तौलिया आदि हैं | उसके घर में एक साफ शौचालय है जो एक अच्छी सीवर लाईन से जुड़ा है। अच्छी सेहत के लिए उसे घर में पौष्टिक भोजन भी उपलब्ध है। नवीन हर चंद महीनों बाद डाक्टर से अपनी जांच कराता है। बचपन में उसे कई टीके लगे थे जिनके कारण वो रोगमुक्‍्त है। उसके मां-बाप भी उसकी सेहत का पूरा ख्याल रखते हैं। अगर किसी दुर्घटना में उसकी हड्डी टूट भी जाए तो विज्ञान की सहायता से उसे दुबारा जोड़ा जा सकता है। अगर कभी उसकी तबियत एकदम बिगड़ जाए तो उसे तत्काल एम्बुलेंस में अस्पताल ले जाया जा सकता है। अगर नवीन को किसी दवाई की ज़रूरत पडे तो वो डाक्टर की पर्ची दिखाकर उसे पास के केमिस्ट से खरीद सकता है। विज्ञान ने नवीन की जिंदगी को प्राचीन के मुकाबले कहीं अधिक सुखद और सुरक्षित बनाया है। नवीन भी बड़ा होकर एक डाक्टर बनना चाहता है।




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