शिक्षा किसलिए है ? | SHIKSHA KISLIYE LIYE?
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
325 KB
कुल पष्ठ :
6
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
आशुतोष भाकुनी - Aashutosh Bhakuni
No Information available about आशुतोष भाकुनी - Aashutosh Bhakuni
पुस्तक समूह - Pustak Samuh
No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अनैतिकता और सबसे विकराल तरह की गरीबी से भरी हुई है. सच तो यह है कि हम एक बिखरती हुई संस्कृति में जी
रहे हैं. 'होलिस्टिक रिव्यु' के संपादक रॉन मिलर के शब्दों में:
हमारी संस्कृति मनुष्यों की अच्छाई और उत्कृष्टता का पोषण नहीं करती है. यह द्रदर्शिता, कल्पनाशीलता,
सॉन्दर्ययोध या आध्यात्मिक संवेदना विकसित नहीं करती है. यह कोमलता, उदारता, दूसरों का ख्याल
रखना और करुणा प्रोत्साहित नहीं करती है. बीसवीं सदी का अंत आते-आते आर्थिक-तकनीकी-
सांख्यिकीवादी नजरिया बड़ी क़ूरता से इंसानों में वह सब कुछ नष्ट कर रहा है जो प्रेमपूर्ण ऑर जीवनदायी
शिक्षा किसलिए होनी चाहिए
इंसानी जीवन संजोए रखने के उद्देश्य से, हम शिक्षा पर पुनर्विचार कैसे कर सकते हैं? मैं छह सिद्धांत सुझा रहा हूं
पहला, स़ारी शिक्षा पार्यावरण शिक्षा है. हम शिक्षा में क्या शामिल करते हैं और क्या नहीं, इससे हम छात्रों को
यह सिखाते हैं कि वे प्राकृतिक जगत हिस्सा हैं या उससे अलग. उदहारण के लिए, ऊष्मागतिकी
(18170097917109) या पारिस्थिकी के नियमों को सिखाए बिना अर्थशास्त्र पढ़ाने से छात्रों को एक महत्वपूर्ण
बुनियादी सीख मिलती है: कि भौतिकी और पारिस्थिकी का अर्थव्यवस्था से कोई लेना-देना नहीं है. यह साफ़ तौर पर
गलत है. यही बात पाठ्यक्रम के अन्य विषयों पर भी लागू होती है.
दूसरा सिद्धांत ग्रीक अवधारणा पाइडेआ (92४५७४) से आता है. शिक्षा का उद्देश्य विषय-वस्तु पर नहीं बल्कि
स्वयं पर महारत पाना है. विषय-सामग्री तो साधन मात्र है. जिस तरह हथौड़ी और छेनी से कोई व्यक्ति पत्थर या
लकड़ी को आकार देता है, उसी तरह विचारों और ज्ञान को हम अपना चरित्र ढालने के लिए इस्तेमाल करते हैं.
ज्यादातर समय हम साधन और साध्य में भ्रमित रहते हैं, और यह सोचते हैं कि शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ छात्र के
मस्तिष्क में हर तरह के तथ्य, सूचना, पद्धतियां, तरीके ठूसना है, भले ही इनका इस्तेमाल किसी भी उद्देश्य के लिए
किया जाए. ग्रीक इस बारे में बेहतर समझ रखते थे.
तीसरा, ज्ञान अपने साथ यह जिम्मेदारी भी लेकर चलता है कि संसार में उसका उपयोग भले उद्देश्यों के लिए
किया जाए. आज किए जाने वाले अधिकांश शोध मैरी शेली के उपन्यास जैसे हैं: तकनीक-जनित दानव जिनके लिए
कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है और न किसी से जिम्मेदारी लेने की उम्मीद की जाती है. लव कैनाल किसकी जिम्मेदारी
है? चर्नोबिल? ओजोन का क्षरण? वैल्डेज़ तेल रिसाव? इनमें से हर त्रासदी इसलिए संभव हुई क्योंकि ऐसे ज्ञान का
सृजन किया गया था जिसके लिए आखिरकार कोई भी जिम्मेदार नहीं था. अंततः इन्हें 'बड़े पैमाने के उत्पादन से
उपजी स्वाभाविक समसस््या' की नज़रों से देखा जाएगा. बेहद विशाल और जोखिम भरी परियोजनाओं को करने का
ज्ञान हमारा उन्हें जिम्मेदारी से क्रियान्वित करने की क्षमता को पछाड़ चुका है. इसमें कुछ ज्ञान तो ऐसा है जो
जिम्मेदारी से इस्तेमाल किया ही नहीं जा सकता है, यानी उसे सुरक्षित तरीके से और निरंतर भले उद्देश्यों के लिए
इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.
चौथा, हम तब तक यह नहीं कह सकते हैं कि हम कुछ समझते हैं, जब तक हम उसका वास्तविक इंसानों
ओर उनके समुदायों पर पड़ने वाले प्रभावों को नहीं समझते हैं. मैं ओहायो के यंग्सटाउन शहर के नज़दीक बड़ा
हुआ, जिसे मुख्य रूप से उद्योगों द्वारा उस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में निवेश न करने के निर्णय ने तबाह कर दिया.
खरीद-बिक्री, कर छूट, पूंजी संचलन के दांव-पेंच में पारंगत |॥8/ पढ़े लोगों ने वह कर दिखाया जो कोई आक्रमणकारी
सेना भी नहीं कर सकती थी: उन्होंने अपने मुनाफे की 'बॉटम लाइन' के खातिर एक अमरीकी शहर को पूरी कानूनी
छूट के साथ तबाह कर दिया. मगर एक समुदाय को इस बॉटम लाइन की दूसरी कीमतें चुकानी पड़ती हैं, बेरोज़गारी,
अपराध, बढ़ते तलाक, नशाखोरी, बाल उत्पीड़न, गवांई हुई बचत, और बर्बाद जिंदगियां. इस वाकए में हम देख सकते
हैं कि प्रबंधन कॉलेजों और अर्थशास्त्र विभागों ने इन छात्रों को जो सिखाया, उसमें अच्छे मानव समुदायों का मूल्य
User Reviews
No Reviews | Add Yours...