दूसरी पहेलियाँ | DOOSRI PAHELIYAN

DOOSRI PAHELIYAN by डॉ. श्रीप्रसाद - Dr. Sriprasadपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रेलगाड़ी उड़ता-फिरता _ दिया देह पर धर हुए है .. उड़ता फिरता इधर उधर ।/ पंखों से रोशनी निकलती $ _ “एक किरन जैरी रुंदर या मशीन है कोई, जिसको- उडते हुए चलाता है कमी रोशनी बुझा रहा है _ या फिर कभी जलाता है।




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