यह एक गाथा है ... पर आप सबके लिए नहीं ! | YEH EK GAATHA HAI - PAR AAP SAB KE LIYE NAHIN

YEH EK GAATHA HAI - PAR AAP SAB KE LIYE NAHIN by पुस्तक समूह - Pustak Samuhसुरेन्द्र कुमार - SURENDRA KUMARहावर्ड फास्ट - HOWARD FAST

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

पुस्तक समूह - Pustak Samuh

No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh

Add Infomation AboutPustak Samuh

सुरेन्द्र कुमार - SURENDRA KUMAR

No Information available about सुरेन्द्र कुमार - SURENDRA KUMAR

Add Infomation AboutSURENDRA KUMAR

हावर्ड फास्ट - HOWARD FAST

No Information available about हावर्ड फास्ट - HOWARD FAST

Add Infomation AboutHOWARD FAST

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
8/2/2016 पुलिस ने हमला किया। उसमें छह मजदूरों की हत्या हुई | अगले दिन इस जघन्य कार्रवाई के विरुद्ध हे मार्केट चौक पर जब मजदूरों ने प्रदर्शन किया, तो पुलिस ने उन पर फिर हमला किया। कहीं से एक बम फेंका गया, जिसके फटने से कई मजदूर और पुलिसवाले मारे गए। इस बात का कभी पता नहीं चल पाया कि बम किसने फेंका था, इसके बावजूद चार अमेरिकी मजदूर नेताओं को फॉसी दे दी गई, उस अपराध के लिए, जो उन्होंने कभी किया ही नहीं था और जिसके लिए वे निर्दोष सिद्ध हो चुके थे। इन वीर शहीदों में से एक, ऑगस्ट स्पाइस, ने फाँसी की तख्ती से घोषणा की : 'एक वक्‍त आएगा, जब हमारी खामोशी उन आवाजों से ज्यादा ताकतवर सिद्ध होगी, जिनका तुम आज गला घोंट रहे हो।' समय ने इन शब्दों की सच्चाई को प्रमाणित कर दिया है। शिकागो ने दुनिया को 'मई दिवस' दिया, और इस बासठवें मई दिवस पर करोड़ों की संख्या में एकत्र दुनियाभर के लोग ऑगस्ट स्पाइस की भविष्यवाणी को सच साबित कर रहे हैं। शिकागो में हुए प्रदर्शन के तीन वर्ष बाद संसारभर के मजदूर नेता बास्तीय किले पर धावे (जिसके साथ फ्रांसीसी क्रांति की शुरुआत हुई) की सौवीं सालगिरह मनाने के लिए पेरिस में जमा हुए। एक-एक करके, अनेक देशों के नेताओं ने भाषण दिया। आखिर में अमेरीकियों के बोलने की बारी आई। जो मजदूर हमारे मजदूर वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहा था, खड़ा हुआ और बिल्कुल सरल और दो टूक भाषा में उसने आठ घंटे के कार्यदिवस के संघर्ष की कहानी बयान की जिसकी परिणति 1886 में हे मार्केट का शर्मनाक कांड था। उसने हिंसा, खूरेजी, बहादुरी का जो सजीव चित्र पेश किया, उसे सम्मेलन में आए प्रतिनिधि वर्षों तक नहीं भूल सके। उसने बताया कि पार्सन्स ने कैसे मृत्यु का वरण किया था, जबकि उससे कहा गया था कि अगर वह अपने साथियों से गद्दारी करे और क्षमा माँगे तो उसे फाँसी नहीं दी जाएगी। उसने श्रोताओं को बताया कि कैसे दस आयरिश खान मजदूरों को पेनसिल्वेनिया में इसलिए फॉसी दी गई थी कि उन्होंने मजदूरों के संगठित होने के अधिकार के लिए संघर्ष किया था। उसने उन वास्तविक लड़ाइयों के बारे में बताया जो मजदूरों ने हथियारबंद 'पिंकरटनों' से लड़ी थीं, और उसने और भी बहुत कुछ बताया। जब उसने अपना भाषण समाप्त किया तो पेरिस कांग्रेस ने निम्नलिखित प्रस्ताव पास किया : 'कांग्रेस फैसला करती है कि राज्यों के अधिकारियों से कार्य दिवस को कानूनी ढंग से घटाकर आठ घंटे करने की माँग करने के लिए और साथ ही पेरिस कांग्रेस के अन्य निर्णयों को क्रियान्वित करने के लिए समस्त देशों और नगरों से मेहनतकश अवाम एक निर्धारित दिन एक महान अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन संगठित करेंगे। चूँकि अमेरिकन फेडरेशन ऑफ लेबर पहली मई 1890 को ऐसा ही प्रदर्शन करने का फैसला कर चुका है, 'अतः यह दिन अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन के लिए स्वीकार किया जाता है। विभिन्‍न देशों के मजदूरों को प्रत्येक देश में विद्यमान परिस्थितियों के अनुसार यह प्रदर्शन अवश्य आयोजित करना चाहिए।' तो इस निश्चय पर अमल किया गया और 'मई दिवस' पूरे संसार की धरोहर बन गया। अच्छी चीजें किसी एक जनता या राष्ट्र की संपत्ति नहीं होतीं। एक के बाद दूसरे देश के मजदूर ज्यों-ज्यों मई दिवस को अपने जीवन, अपने संघर्षों, अपनी आशाओं का अविभाज्य अंग बनाते गए, वे मानकर चलने लगे कि यह दिन उनका है और 4/6




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now