बच्चे कैसे सीखते हैं ? | HOW CHILDREN LEARN?

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जॉन होल्ट -JOHN HOLT

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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सुशील - Sushil

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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138 लपकती है। मैं डरने का नाटक करता हूं और कुर्सी के पीछे दुबक जाता हूं। यह थोड़ी देर चलता है! इससे और उसकी अन्य गतिविधियों से ऐसा लगता है कि वह अपने अन्दर एक मैं का अनुभव कर रही है जो ताकतवर हो रहा है, चीज़ें कर रहा है, चीज़ों की मांग कर रहा है। जिस खेल में यह “मैं' ज़्यादा तांकतवर दिखे वह एक अच्छा खेल बन जाता है। अधिकांश समय वह यह बखूबी जानती है कि वह “मैं! सचमुच कितना अशक्त है। कभी-कभी वह एक छड़ी से कुर्सी की बैठक पर मारती है और मुंह से फटाक की आवाज़ निकालती है। कुर्सी पर चोट करते वक्‍त वह साथ में आंखें मीच लेती है, गोया कि उस चोट की शक्ति से वह खुद थोड़ी डर गई हो। इसे देखकर मुझे एक नौ वर्षीय लड़के की याद आई। उसने जब फुटबॉल खेलना शुरू किया था तो वह जब भी गेंद को किक मारता तो साथ में मुंह से ऐसी ही विस्फोटक आवाज़ निकालता था। मेरा ख्याल था कि वह अनजाने में ही ऐसा करता था। गौर करने लायक बात यह है कि न तो वह बड़े डीलडौल का था और न ही उसका शरीर एथलेटिक था और वह गेंद को बहुत ज़ोर से किक नहीं मार पाता था; यदि वह जोरदार किक मार पाता तो विस्फोटक आवाज़ की ज़रूरत भी न पड़ती। सारी उग्रता, घमंड और जिद्दी आत्म निर्भरता एक तरफ मगर लिज़्ा दिल से बहुत दयालु और परोपकारी है। उसका एक पसन्दीदा खेल है 'तुम नहीं कर सकते '। कई मर्तबा इस खेल में मैं दरवाज़े के बाहर होता हूं और वह अन्दर। वह कहती है “अन्दर नहीं आ सकते | मैं धीरे-धीरे दरवाज़े को खींचना शुरू करता हूं। वह दूसरी ओर से पूरी ताकत से खींचती है। थोड़ी देर बाद मैं छोड़ देता हूं मानो थक गया हूं! दरवाजा खटाक से बन्द हो जाता है। वह मेरी ओर एक विजयी नज़र उछालती है और फिर से कहती है तुम अन्दर नहीं आ सकते! मैं एक बार फिर दरवाज़ा खोलने की कोशिश करता हूं, वह फिर से प्रतिरोध करती है और अन्ततः मैं छोड़कर दरवाज़े को बन्द हो जाने देता हूं। ऐसा पांच-छ: बार होता है। परन्तु अंत में हमेशा वह बहुत प्रेम से मुझे अन्दर आने देती है। कहती है, “जॉन, अन्दर आ जाओ।' एक दिन सुबह-सुबह उसे अपनी बहन से बात करते सुनकर मैं अन्दर चला गया। उसने मेरी ० ५2५ कक ॥्टपइइत कक >का ७... सार्च-जून 1998 शैक्षिक संदर्भ




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