फोटोग्राफर | FOTOGRAPHER
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
156 KB
कुल पष्ठ :
6
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
कुर्रतुलऐन हैदर -QURRATULAIN HYDER
No Information available about कुर्रतुलऐन हैदर -QURRATULAIN HYDER
पुस्तक समूह - Pustak Samuh
No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)8/26/2016
लड़की ने घडी देखी।
-- हम लोगों को अभी बाहर जाना है। देर हो जाएगी।
- लेडी... फ़ोटोग्राफ़र ने पाँव मुँडेर पर रखा और एक हाथ फैलाकर बाहर की दुनिया की तरफ़ इशारा करते हुए
जवाब दिया-- बाहर कारज़ारे-हयात18 में घमासान का रन पड़ा है। मुझे मालूम है इस घमासान से निकलकर आप
दोनो, खुशी के चंद लम्हे चुराने की कोशिश में मसरूफ़ हैं। देखिए, इस झील के ऊपर धनुक पल्-की-पल में गायब
हो जाती है। लेकिन मैं आपका ज़्यादा वक्त न लूंगा। इधर आइए।
-- बड़ा लसान19 फोटोग्राफर है।
लड़की ने चुपके से अपने साथी से कहा। माली जो गोया अब तक अपने क्यू का मुंतज़िर था, दूसरे दरख़्त के पीछे
से निकला और लपककर एक और गुसदस्ता लड़की को पेश किया। लड़की खिलखिलाकर हँस पड़ी। वह और
उसका साथी अमर सुंदरी पार्वती के मुजस्समें20 के क़रीब जा खड़े हुए। लड़की की आँखों पर धूप पड़ रही थी
इसलिए उसने मुस्कुराते हुए आँखें ज़रा-सी चुधिया दी थीं।
क्लिक-क्लिक... तसवीर उतर गई।
-- तसवीर आपको शाम को मिल्न जाएगी। थैंक यू, लेडी | थैंक यू,सर... फ़ोटोग्राफ़र ने ज़रा-सा झुककर दोबारा
टोपी छुई। लड़की और उसका साथी कार की तरफ़ चले गए।
सैर करके वे दोनों शाम पड़े लौटे | संध्या की नारंगी रौशनी में देर तक बाहर घास पर पड़ी कुर्सियों पर बैठे रहे। जब
कोहरा गिरने लगा तो अंदर निवासी मंज़िल के वसीअ 21 और ख़ामोश ड्राइंगरूम में नारंगी कुमकुमों की रौशनी में
आ बैठे। न जाने क्या बातें कर रहे थे जो किसी तरह ख़त्म होने को ही न आती थीं। खाने के वक़्त वे ऊपर चले
गए। सुब्ह-सबेरे वे वापस जा रहे थे और अपनी बातों की महिवियत 22 में उनको फ़ोटोग्राफ़र और उसकी खैंची हुई
तसवीर याद भी न रही थी।
सुब्ह को लड़की अपने कमरे ही में थी जब बैरे ने अंदर आकर एक लिफाफा पेश किया-- फ़ोटोग्राफ़र साहब, यह
रात को दे गए थे। उसने कहा।
-- अच्छा। उस सामनेवाली दराज़ में रख दो। लड़की ने बेख़याली से कहा और बाल बनाने में जुटी रही।
नाश्ते के बाद सामान बांधते हुए उसे दराज़ खोलना याद न रहा और जाते वक़्त ख़ाली कमरे पर एक सरसरी नज़र
डालकर वह तेज़-तेज़ चलती कार मैं बैठ गई। नौजवान ने कार स्टार्ट कर दी। कार फाटक से बाहर निकली।
फ़ोटोग्राफ़र ने पुलिया पर से उठकर टोपी उतारी। मुसाफ़िरों ने मुस्कुराकर हाथ हिलाए। कार ढलवान से नीचे
रवाना हो गई।
वह वात्ररस की ऐसी मूँछोंवात्रा फ़ोटोग्राफ़र अब बहुत बूढ़ा हो चुका है। और उसी तरह उस गेस्टहाउस के फाटक
पर टीन की कुर्सी बिछाए बैठा है। और सय्याहों की तसवीरें उतारता रहता है जो अब नई फ़ज़ाई सर्विस 23 शुरू
होने की वजह से बड़ी तादाद में इस तरफ़ आने लगे हैं।
4/6
User Reviews
No Reviews | Add Yours...