फूलों की उम्मीद | PHOOLON KI UMEED
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
559 KB
कुल पष्ठ :
14
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
ट्रिना पौलोस - TRINA PAULUS
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)/ मीनार में बस इल्लियां
| श्ष् ! / । ही इल्लियां थीं।
ने ' (8. प् ऐसा लगता था जैसे
शच | । सभी इल्कियां ऊपर की
् कट ... चोटी तक पहुंचना चाहती
हैं। परंतु ऊपर की चोटी
आसमान के बादलों में खो
गई थी। है
ऊपर क्या है? यह पट्टू को दिखाई नहीं दे रहा था। वो काफी
उत्तेजित हुआ। उसकी रगों में नया खून दौड़ने लगा। “जिसकी मुझे
सारे जीवन भर खोज थी, वो अब मुझे मिल गया है।” उसने एक
रेंगने वाले साथी से पूछा, “यहां क्या हो रहा है? क्या तुम्हें कुछ पता
है?
“में तो खुद अभी-अभी आया हूं, उसने उत्तर दिया।
“यहां किसी के पास
हऋ जवाब देने का वक्त नहीं
६ है।सब के सब बस ऊपर
चढ़ने में व्यस्त हैं |
“पर आखिर ऊपर है
क्या?” पट्टू ने पूछा |
“यह किसी को
नहीं मालूम | पर
पर ऊपर
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ज़रूर कोई बेहद अच्छी चीज़ होगी,
तभी तो सभी लोग उस तरफ दौड़
रहे हैं। अच्छा अलविदा,.अब मैं चलता
हूं! मेरे पास ज़्यादा वक्त नहीं है |”
यह कह कर वो कीडा भी भीड़
में कूद पड़ा। पट॒टू के दिमाग में
खलबली मच गई | हरेक सेकेंड, एक
नई इल्की उसके सामने से गुजरती
और झट से इल्कियों की मीनार में गायब हो जाती।
“अब करने को बचा ही क्या है,” यह कह कर पटटू भी भीड़ में
कूद पड़ा।
इल्लियों के इस पुलिंदे में उसे पहले तो एक भारी झटका लगा।
पट्टू पर हर ओर
से, लातों और घूसों
की बौछार पड़ी।
यहां का नियम
एकदम सरल था।
या तो खुद ऊपर
चढ़ो, नहीं तो औरों
को ऊपर चढ़ने दो
यहां पट॒टू का
कोई दोस्त न था।
वो दूसरों पर पैर >>
रखकर ही ऊपर...
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